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________________ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास वि०सं० १५४५ वैशाख सुदि ५ गुरुवार ४. अमररत्नसूरि के पट्टधर सोमरत्नसूरि-इनके द्वारा प्रतिष्ठापित १२ प्रतिमायें मिलती हैं, जो वि० सं० १५४८ से वि० सं० १५८१ तक की हैं। इसका विवरण इस प्रकार है - वि०सं० १५४८ वैशाख सुदि ३ १ प्रतिमालेख वि०सं० १५५२ वैशाख सुदि ३ वि०सं० १५५२ माघ वदि ८ शनिवार वि०सं० १५५५ ज्येष्ठ सुदि ९ रविवार वि०सं० १५५६ वैशाख सुदि १३ रविवार वि०सं० १५६७ वैशाख सुदि ३ बुधवार वि०सं० १५६९ वैशाख सुदि ९ शुक्रवार वि०सं० १५७१ चैत्र वदि २ गुरुवार वि०सं० १५७१ चैत्र वदि ७ गुरुवार...? वि०सं० १५७३ वैशाख सुदि ६ गुरुवार वि०सं० १५७३ फाल्गुन सुदि २ रविवार वि०सं० १५८१ माघ सुदि ५ गुरुवार इस प्रकार अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर आगमगच्छ के उक्त मुनिजनों का जो पूर्वापर सम्बन्ध स्थापित होता है, वह इस प्रकार है - अमरसिंहसूरि [ वि० सं० १४५१-१४८३ ] हेमरत्नसूरि [ वि० सं० १४८४-१५२१ ] अमररत्नसूरि [ वि० सं० १५२४-१५४७ ] सोमरत्नसूरि [ वि० सं० १५४८-१५८१ ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003614
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages714
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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