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________________ आगमिक गच्छ - गुणनिधानसूरि उदयरत्नसूरि गुणमेरुसूरि मतिसागरसूरि [ रचनाकार ] अभिलेखीय साक्ष्य आगमिक गच्छ के मुनिजनों द्वारा प्रतिष्ठापित तीर्थङ्कर प्रतिमाओं पर वि० सं० १४२१ से वि० सं० १६८३ तक के लेख उत्कीर्ण हैं । इन प्रतिमालेखों के आधार पर इस गच्छ के कुछ मुनिजनों के पूर्वापर सम्बन्ध स्थापित होते हैं, जो इस प्रकार हैं - १. अमरसिंहसूरि-इनके द्वारा वि० सं० १४५१ से वि० सं० १४७८ के मध्य प्रतिष्ठापित ७ प्रतिमा लेख उपलब्ध हैं, इनका विवरण इस प्रकार वि०सं० १४५१ ज्येष्ठ सुदि ४ रविवार १ प्रतिमालेख वि०सं० १४६२ वैशाख सुदि ३ वि०सं० १४६५ माघ सुदि ३ रविवार वि०सं० १४७० तिथि विहीन वि०सं० १४७५ ॥ ॥ वि०सं० १४७६ चैत्र वदि १ शनिवार वि०सं० १४७८ वैशाख सुदि ३ गुरुवार २. अमरसिंहसूरि के पट्टधर हेमरलसूरि-हेमरत्नसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित ४० प्रतिमायें अद्यावधि उपलब्ध हुई हैं। ये सभी प्रतिमायें लेख युक्त हैं। इन पर वि०सं० १४८४ से वि० सं० १५२१ तक के लेख उत्कीर्ण हैं । इनका विवरण इस प्रकार है - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003614
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages714
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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