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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org महोयाध्याय रत्नसागर (वि.सं. १६२६ में जन्म एवं वि.सं. १७२० में स्वर्गस्थ ) पद्मसागर नयसागर मनमोहनसागर (वि.सं. १७०४ में (वि.सं. १६७६ में (वि.सं. १६९७ में लिखी गयी शिलाप्रशस्ति में उल्लिखित) नारचन्द्रज्योतिष चैत्यवन्दन के प्रतिलिपिकार) के रचनाकार) धीरसागर (सिद्धान्तसागरसूरि ) (भावसागरसूरि) संयमसागर (वि.सं. १६६२ में सिद्धान्तचौपाई के प्रतिलिपिकार) (गुणनिधानसूरि) धर्ममूर्तिसूरि अंचलगच्छ के १७वें पट्टधर) (अंचलगच्छ-सागरशाखा के आदिपुरुष) मेघसागर उदयसागर आदि १० अन्य शिष्य ऋद्धिसागर विनयसागर (प्रसिद्ध रचनाकार: विभिन्न रचनायें उपलब्ध) सौभाग्यसागर (वि.सं. १६९७ में शांतिनाथजिनालय जामनगर की शिलाप्रशस्ति एवं वि.सं. १७१९ में वर्धमानपद्मसिंह श्रेष्ठीचरित के रचनाकार) कल्याणसागरसूरि ऋषि कीका (वि.सं. १६९५ में शतकत्रय एवं वि.सं. १६९७ में नेमिनाथयादवरास के प्रतिलिपिकार) ..... अचलगच्छ मुख्य परम्परा..... अचलगच्छ की विभिन्न उपशाखायें और उनका इतिहास १५३
SR No.003612
Book TitleAchalgaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2001
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size8 MB
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