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________________ कल्याणसागरसूरि Jain Education International रत्नसागर देवसागर गुणचन्द्र अमरसागरसूरि पुण्यमंदिर (पट्टधर) उदयमंदिर (वि.सं. १६७५ में ध्वजभुजंगआख्यान के कर्ता) सागरशाखा प्रारम्भ . उत्तमचन्द्र विवेकचन्द्र (वि.सं. १६९५ में (वि.सं. १६९७ में सुनन्दारास के सुरपालरास के रचनाकार) कर्ता) मतिनिधान विजयशील भीमरत्न (वि.सं. १६७१में दयाशील । पुण्यपालकथानक (वि.सं.१६६६में उदयसागर एवं इसी के आस ईलाचीकेवलीरास । पास नेमिनाथछंद के कर्ता) के प्रतिलिपिकार For Private & Personal Use Only दयासागर देवनिधान (वि.सं. १६६५ में सुरपतिकुमारचौपाई (इनके आग्रह पर मदनराजर्षिचौपाई के कर्ता) की रचना की गयी) (वि.सं. १६६९ में मदनराजर्षिचौपाई) (वि.सं. १६७७ में भुज में चातुर्मास के समय पुण्यसिंह नामक श्रावक ने इन्हें पद्मसागरगणि पुण्यसागरगणि धनजी और दयासागर को नेमिनाथचरित की (सिद्धदत्तरास के कर्ता) प्रति भेंट की) अचलगच्छ का इतिहास www.jainelibrary.org
SR No.003612
Book TitleAchalgaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2001
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size8 MB
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