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________________ २७३ संभवनाथ की एक प्रतिमा पर उत्कीर्ण वि०सं० १६२२ के लेख से से ज्ञात होता है कि इसकी प्रतिष्ठापना सोमविमलसूरि के समय हुई थी। लेख का मूलपाठ निम्नानुसार है: संवत् १६२२ वर्षे पौष वदि १ रवौ ओसवालज्ञातीय मडावरागोत्रे सा० धवकरणभार्यासिवादेपुत्रसा० पा.....भार्याअमर.....पुत्र सा० धनपति सर्वकुटुम्बश्रेयोऽर्थं श्री संभवनाथ बिंबं कारितं प्रति० श्री सोमविमलसूरि विजयराज्ये।। प्रतिष्ठास्थान - शांतिनाथ जिना०, कडाकोटडी, खंभात। सोमविमलसूरि द्वारा रचित विभिन्न कृतियां प्राप्त होती हैं जो इस प्रकार हैं : धम्मिलरास - रचनाकाल वि० सं० १५९१ पौष सुदि १ शनिवार आनन्दविमलसूरिसज्झाय - रचनाकाल वि०सं० १५९६ चम्पक श्रेष्ठीरास - रचनाकाल वि० सं० १६२२ श्रेणिकरास क्षुल्लककुमाररास रत्नदृष्टांतस्वाध्याय राजीमतीस्वाध्याय मनुष्यभवोपरिदशदृष्टान्तना गीतो कुमरगिरीमण्डन शांतिनाथस्तवन दशवकालिकसूत्रबालावबोध ११. कुमारपालचरितकाव्य १२. कल्पसूत्रबालावबोध १३. चसिमा शब्द के १०१ अर्थ की सज्झाय (वि० सं० १६३२) १४. नेमिगीत १५. दसदृष्टांत त्रुटक वि०सं० १६०२ में रचित पट्टावलीसज्झाय भी इन्हीं की कृति है। वि० सं० १५९१ माघ सुदि १० को इन्होंने स्वरचित धम्मिलरास' की प्रतिलिपि करायी। वि०सं० १५९७ में इनके समय में विद्याविजयगणि के शिष्य श्रीविजयगणि द्वारा नन्दवारपुर (?) में सिद्धान्तविचाररास की रचना की। वि०सं० १५९७ में इनके उपदेश से भगवतीसूत्र की प्रतिलिपि करायी गयी। वि०सं० १६०४ में इन्होंने अपने शिष्यों-प्रशिष्यों के पठनार्थ अन्तकृद्दशांग की प्रतिलिपि करायी।१० सौभाग्यहर्षसूरि के दूसरे शिष्य और सोमविमलसूरि के गुरुभ्राता कल्याणजय ने वि० सं० १५९४ में कृतकर्मराजाधिकाररास की रचना की। सौभाग्यहर्षसूरि के एक शिष्य प्रमोदमंडन हुए जिनके द्वारा रचित कोई कृति नहीं मिलती, यही बात इनके शिष्य विमलमंडन के बारे में भी कही जा सकती है किन्तु इनके शिष्य रत्नविमल ने दामनकरास नामक ग्रन्थ की रचना की जिसकी वि०सं० १६३३ में लिखी गयी प्रति प्राप्त हुई है।१२ इसकी प्रशस्ति में रचनाकार ने अपनी गुरु-परम्परा दी है, जो इस प्रकार है : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003611
Book TitleTapagaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2000
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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