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________________ तपागच्छ-कुतुबपुरा शाखा का इतिहास तपागच्छ के ५०वें पट्टधर प्रसिद्ध रचनाकार आचार्य सोमसुन्दरसूरि के शिष्य और मुनिसुन्दरसूरि, रत्नशेखरसूरि, लक्ष्मीसागरसूरि आदि के आज्ञानुवर्ती सोमदेवसूरि हुए। इनके एक शिष्य सुधानन्दन हुए जिनके प्रशिष्य कमलकलशसूरि से तपागच्छ की कमलकलशशाखा अस्तित्व में आयी। सोमदेवसूरि के दूसरे शिष्य रत्नहंसगणि की शिष्यसंतति के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती। सोमदेवसूरि के तीसरे शिष्य चारित्रहंस हुए जिनके शिष्य सोमचारित्र ने वि०सं० १५४१ में गुरुगुणरत्नाकरकाव्य की रचना की। सोमदेवसूरि के चौथे शिष्य रत्नमंडनगणि हुए। इनके द्वारा रचित रंगरत्नाकरनेमिफाग (रचनाकाल वि०सं० १४९९/ ई०स० १४४३), जल्पमंजरी, नारीनिरासफाग, सुकृतसागर (रचनाकाल वि०सं० १५१७/ ई०स० १४६१) आदि रचनायें प्राप्त होती हैं।' रत्नमंडनगणि के शिष्य सोमजय हुए। लक्ष्मीसागरसूरि द्वारा इन्हें आचार्य पद प्राप्त हुआ। मंत्रीश्वर गदाशाह द्वारा निर्मित १०८ मन वजन की ऋषभदेव की पित्तल की एक प्रतिमा जो आबू स्थित भीमाशाह के मंदिर में संरक्षित है, जिस पर उत्कीर्ण वि०सं० १५२५ फाल्गुन सुदि ७ शनिवार के चार लेख और वि० सं० १५२९ के एक लेख तपागच्छीय आचार्य लक्ष्मीसागरसूरि, जिनहंस, सुमतिसुन्दरगणि आदि के साथ सोमजय और उनके शिष्य जिनसोम का भी नाम मिलता है। जिनसोम द्वारा रचित स्तम्भनपार्श्वजिनस्तोत्र, ऋषभवर्धमानजिनस्तोत्र, तारंगामंडनअजितनाथजिनस्तवन, महावीरस्तवन आदि कृतियां मिलती हैं।' सोमजय के दूसरे शिष्य इन्द्रनंदि हुए, जिनके द्वारा प्रतिष्ठिापित कई जिनप्रतिमायें मिलती हैं, जो वि० सं० १५४० से वि०सं० १५७९ तक की हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : क्रमांक संवत् तिथि/मिति प्राप्तिस्थान १. १५४० ज्येष्ठ सुदि २ सोमवार सुविधिनाथ जिनालय, पित्तलहर, आबू संदर्भग्रन्थ मुनि जयन्तविजय संपा०, अर्बुदप्राचीनजैनलेखसंदोह, लेखांक ४३२, ४३४, ४३५. १५४८ तिथिविहीन ३. १५५६ माघ सुदि६ सीमंधरस्वामी का मंदिर, अगरचन्द भंवरलाल नाहटा, बीकानेर संपा०, बीकानेरजैनलेखसंग्रह, लेखांक ११९०. शांतिनाथ जिनालय, आचार्य बुद्धिसागर, संपा०, खंभात जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, भाग २, लेखांक ८९८. घर देरासर, बड़ोदरा वही, भाग २,लेखांक २३१. जैनमंदिर, सूतटोला, पूरनचन्द नाहर, संपा०, वाराणसी जैनलेखसंग्रह, भाग २, लेखांक ४०४. ४. ५. १५५८ आषाढ़ सुदि८ १५५९ आषाढ़ सुदि८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003611
Book TitleTapagaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2000
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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