SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३. १५५३ फाल्गुन सुदि४ शांतिनाथ की धातु की प्रतिमा उत्कीर्ण लेख जैनमंदिर, चाणस्मा बुद्धिसागरसूरि. संपा। जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, भाग १, लेखांक ११५. ४. १५६० वैशाख सुदि३ वासुपूज्य की धातु आदिनाथ चैत्य, प्रतिमा पर थराद उत्कीर्ण लेख दौलत सिंह लोढा, संपा०, जैनप्रतिमालेखसंग्रह, लेखांक १२५. १६०३ माघ वदिरा बारसाख पर महावीर जिनालय, मुनिजयन्तविज्य, शुक्रवार उत्कीर्ण लेख पीडवाड़ा संपा०, अर्बुदाचल प्रदक्षिणाजैनलेखसंदोह, लेखांक ३८२. एवं जैनलेखसंग्रह भाग १, लेखांक९४९. . कमलकलशसूरि के एक शिष्य भुवनसोमगणि हुए जिन्होंने वि०सं० १५५१ में डीसा में आनन्दभुवन के पठनार्थ दशवैकालिकसूत्र की प्रतिलिपि की। आनन्दभुवन कौन थे! भुवनसोमगणि और कमलकलशसूरि से उनका क्या सम्बन्ध था! इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती। कमलकलशसूरि के एक शिष्य कुलउदय गणी हुए जिनकों अचलगढ़ स्थित ऋषभदेव लघुप्रासाद में उत्कीर्ण वि०सं० १५५८ कार्तिक वदि १३ के एक शिलालेख में उल्लेख मिलता है।१५५ ___कमलकलशसूरि के पट्टधर उनके दूसरे शिष्य जयकल्याणसूरि हुए। इनके द्वारा प्रतिष्ठापित कई जिन सलेख प्रतिमायें मिली हैं, जिनका विवरण निम्नानुसार है : १. गुरुवार उदयपुर २. वि० सं० तिथि/मिति लेख का स्वरूप प्राप्तिस्थान संदर्भग्रन्थ १५६६ फाल्गुन वदि६ पार्श्वनाथ की शीतलनाथ जिना०, जैनलेखसंग्रह. भाग २, प्रतिमा पर लेखांक ११०३. उत्कीर्ण लेख १५६६ फाल्गुन सुदि१० शिलालेख चतुर्मुख विहार, मुनि जयन्तविजय, आदिनाथ प्रासाद, संपा०, अर्बुदप्राचीनअचलगढ़ जैनलेखसंदोह, लेखांक ४६४,४७१, ४७३,४७४,४८२, ४८३ एवं ४८४. मुनिजिनविजय, संपा०, प्राचीनजैनलेखसंग्रह, भाग२, लेखांक २६३, २६८. १५६६ फाल्गुन सुदि १० आदिनाथ की आदिनाथ जिना०, जैनलेखसंत्रह. भाग २, सोमवार प्रतिमा पर अचलगढ़ लेखांक २०२७-२०२. उत्कीर्ण लेख ३. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003611
Book TitleTapagaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2000
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy