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________________ ६. ७. ८. ९. १. २. ३. १५३७ ४. १५३७ १५३७ १५३७ १५४४ वैशाख सुदि ६ गुरुवार १५५२ पौष वदि ७ सोमवार २५५ शांतिनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख आदिनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख Jain Education International शांतिनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख कुंथुनाथ प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख शिलालेख वि०सं० १५७३ / ई०स० १५१७ के पूर्व रचित श्रीपालचरित्र के रचनाकार धर्मधीर बृहद्तपागच्छ की भृगुकच्छ शाखा से सम्बद्ध विजयरत्नसूरि के शिष्य थे। विजयरत्नसूरि के दूसरे शिष्य धर्मरत्नसूरि हुए, जिनके द्वारा प्रतिष्ठापित कुछ जिनप्रतिमायें प्राप्त हुई हैं जो वि०सं० १५४४ से वि०सं० १५८७ तक की हैं। इनका विवरण इस प्रकार हैं : क्रमांक वि० सं० तिथि/मिति लेख का स्वरूप प्राप्तिस्थान संदर्भग्रन्थ श्रेयांसनाथ की नटोदादा की ट्रंक शत्रुंजयवैभव, प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख १५५५ वैशाख सुदि ३ अजितनाथ की शनिवार प्रतिमा का लेख १५८७ वैशाख.... शांतिनाथ जिना०, खंभात शामला पार्श्वनाथ जिना, डभोई धर्मनाथ जिना०, भोई शांतिनाथ देरासर, वीसनगर जैनमंदिर, हमीरगढ़ सुविधिनाथ जिना ०, घोघा, काठियावाड़ पार्श्वनाथ की प्रतिमा का लेख शत्रुंजय बालावसही, वही, भाग २, लेखांक ७३७. वही, भाग १ लेखांक ३४. For Private & Personal Use Only वही, भाग १. लेखांक ५८. वही भाग १. लेखांक ५२७. लेखांक २३४ अ. अर्बुदाचलप्रदक्षिणाजैनलेखसंदोह, (आबृ, भाग ५), लेखांक २३४. जैनलेखसंग्रह, भाग २, लेखांक १७७१ धर्मरत्नसूर के एक शिष्य विनयमंडन हुए, जिनके द्वारा रचित कोई कृति नहीं मिलती परन्तु इनके शिष्यों विवेकधीरगणि और जयवंतमुनि अपरनाम गुणसौभाग्यसूरि द्वारा रचित कृतियां प्राप्त होती हैं । शत्रुंजयवैभव, लेखांक २८१. www.jainelibrary.org
SR No.003611
Book TitleTapagaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2000
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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