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पूर्व पीठिका
१.२
मथुरा के शिल्प एवं स्थापत्य में जैन श्राविकाएं :
जैन धर्म के उत्थान में पुरुषों की अपेक्षा स्त्र्यिों का योगदान अधिक रहा है। मथुरा से प्राप्त सैंकड़ों जैन अभिलेखों से ज्ञात होता है कि धर्म के प्रति नारी जाति की आस्था पुरुषों से कहीं अधिक थी। धर्मार्थ दान देने में वे सदा पुरुषों से आगे रहती थी। मथुरा के प्रमुख जैन स्तूपों के आयागपट्ट आदि के निर्माण में महिला दान दाताओं का उल्लेखनीय योगदान इसका प्रमाण है। मथुरा में ई. सन् की प्रथम द्वितीय शती के अनेक शिल्पांकन में श्राविकाओं की विद्यमानता इस तथ्य को पुष्ट करती है। आइए नीचे देखें सुश्राविका अमोहिनी एवं लवणशोभिका के द्वारा निर्मित आयागपट्ट जो अभिलेख से युक्त, जिन प्रतिमा एवं जिन भक्ति में लीन श्राविकाओं से परिवत्त है। दूसरी ओर आर्यावती एवं श्रमण कष्णर्षि की मुनिचर्या में सहयोगिनी श्राविकाएं नज़र आती हैं।
१.२ चित्र सं. (१)
जैन श्राविकाओं द्वारा निर्मित्त आयागपट्ट ई. सन् की प्रथम-द्वित्तीय शती
Iddebe
AGAR
AWARARIANS
अर्हत् पूजा हेतु श्राविकाओं द्वारा निर्मित मथुरा का आयाग-पटट
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