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________________ 694 शोध कार्यों में श्राविकाओं का योगदान (प्राकृत भाषा एवं साहि य) १३५. जैन माया (श्रीमती) | १३६. जैन मीनू या वीनू १३७. जैन वन्दना १३८. जैन विनोदवाला १३६. जैन सावित्री आचार्य विद्यासागरः व्यक्तित्व एवं काव्यकला उदयपुर, १६६६, अप्रकाशित। नि.-डा. पथ्वीराज मालीवाल, हिन्दी विभाग, उदयपुर। आर्यिका विशुद्धमती माताजीः व्यक्तित्व एवं कृतित्व उदयपुर, २०००, अप्रकाशित । नि.-डॉ. उदयचन्द जैन, उदयपुर। आचार्य जोइन्दुः एक अनुशीलन सागर..... अप्रकाशित । "कविवर बनारसीदास एवं अर्धकथानक इन्दौर"; १६६६, अप्रकाशित। नि.-डॉ. दिलीपकुमार चौहान, हिन्दी विभाग, इन्दौर। "श्रीतारणस्वामी: व्यक्तित्व एवं कृतित्व सागर", १६८४, अप्रकाशित नि. -डॉ. | भागचन्द्र भागेन्दु, दमोह (म. प्र.) आचार्य देवसेन और उनकी कृतियाँ मेरठ, १६६६, अप्रकाशित । नि.-डॉ. श्रेयांसकमार जैन, बडौत। "कविवर भागचन्द के व्यक्तित्व एवं कृतित्व" का अनुशीलन। सागर, १६६२ अप्रकाशित नि.-डॉ. बद्री प्रसाद "आचार्य अमितगतिः एक अनुशीलन" सागर, १६८७; अप्रकाशित। नि.-डॉ. भागचन्दजैन भागेन्दु, दमोह (म. प्र.) जैन सुनीता (श्रीमती) १४१. जैन पुषमा (श्रीमती) १४२. जैन सुषमा जैन समाजशास्त्र १४३. जैन अलका १४४. जैन कोमल (श्रीमती) 984. Jain, Poornima इन्दौर नगर के जैन समाज में प्रमुख जैन साध्वियों की सामाजिक परिवर्तन में इन्दौर, २००२ अप्रकाशित। नि.-प्रो. आर. के. नानावटी; इन्दौर। "जैन आगमों में नारी जीवन" प्रका. पदमजा प्रकाशन; गुडलक स्टोर्स; देवास (म.प्र.) प्रथम-१६८६/७५.०० Religious Sects and Social Development with special emphasis. On Jains, christians and sikkhas. Sects in Agra city': A socialogical analysis. J. N. u. 1996, Unpublished. Ethinicity in plural Societies with special reference to Jain Oswal in Kolkata. Kolkata, 1991 published. गंजवासौदा के जैन समाज में विवाह: समाजशास्त्रीय अध्ययन भोपाल, १६८५, अप्रकाशित। Sociology of Jaina Temple Gaaras. Rajasthan, 1969, Unpublished १४६. Jain Renu १४७. जैन सन्ध्या १४८. Jain Sushila जैन अर्थशास्त्र १४६. जैन, कमल प्रभा "प्राचीन जैन साहित्य में आर्थिक जीवन"। वाराणसी; १६८६, प्रकाशित । नि.-डा. सागरमल जैन वाराणसी प्रका.-पा. शो. वाराणसी। प्रथम-१६८८/५०, 00 जैन शिक्षाशास्त्र १५०. जैन सारिका (क.) | १५१. जैन सुनीता आचार्य विद्यासागर के व्यक्तित्व एवं शैक्षिक विचारों का अध्ययन सागर; १६६३, अप्रकाशित नि.-डॉ. एच. एस. वैश्य, (सागर) (म. प्र.) "श्री गणेश प्रसाद वर्णी का शिक्षा में योगदान"| सागर, १६६५, अप्रकाशित। नि.-डॉ. बी.पी. श्रीवास्वत, सागर (म.प्र.) जैन राजनीति | १५२. जैन, उषा "यशस्तिलकचम्पू में भारतीय राजनीति का समीक्षात्मक अध्ययन"। जबलपुर १६८८, अप्रकाशित। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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