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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
आचार्य श्री रत्नाकर सूरीश्वरजी म.सा. का शुभ - सन्देश
आर्य एवं अनार्य का प्रमाण संस्कारों पर आधारित है। भारत भूमि को आर्य देश माना गया है। जिसके पास संस्कारों का संस्करण, संस्कारों की पूंजी है, वह नारी नारायणी है। संस्कारों का वैभव न होने से वह नारी नागिन का स्वरूप धारण करती है ।
इस पुस्तक के अन्तर्गत भगवान् के शासन में होने वाली संस्कारों से अलंकृत श्राविका का परिचय दिया है, उसे पढ़कर अपने जीवन में आर्यत्व की खुमारी लाकर सुश्राविका के स्तर तक पहुँचते-पहुँचते, भावों में सर्व विरति स्वीकार करके आत्मोन्नति करें। इसी शुभाभिलाषा के साथ,
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रत्नाकर सूरि
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