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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
जी ने उनके लक्षणों को देखा । तुरन्त पास में पहुंचकर संथारे के प्रत्याख्यान हेतु उनसे स्वीकति मांगी। उन्होंने हाँ कर दी। पूज्या महासती जी ने एक हाथ मस्तक पर तथा दूसरा हाथ कलाई पर (नाडी का परीक्षण करते हुए ) रखा। प्रवचन हालणमोक्कार मंत्र के जाप से गूंज उठा। लगभग पोने नौ बजे सुश्राविका सेवावंती जी ने समाधिमरण के साथ स्वर्गगमन किया, देखने वाले दर्शक कह उठे मत्यु सेवावंती जैसी सबको आए 'गुरु पास में हों और दम निकल जाए । १५६
७. १६३ श्रीमती सिरेकंवर देवी :
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आप श्रीमान् सुमेरचंद जी भंडारी की धर्मपत्नी थी। आपके सहयोग से ८२ व्यक्ति शिक्षा में निपुण बने । तन मन धन से उन्होंनें अपने पुत्र पुत्रियों तथा पौत्र-पौत्रियों को पढ़ाने में सहयोग दिया । चतुर्विध श्री संघ पर और जैन धर्म पर आपकी अटूट श्रद्धा थी। आप संथारा लेकर ५ फरवरी को स्वर्गवासी हुई । १५७
७. १६४ श्रीमती मिश्रीबाई चोरड़िया :
आप चाँदनी चौक दिल्ली निवासी श्रीमान् कंवरसेन जी चोरड़िया की धर्मपत्नी थी। श्रीमान् नंदिषेणजी जैन एवं चंद्रसेन जी जैन आपके दो पुत्र है तथा तीन पुत्रियां हैं। एक सुपुत्री दीक्षित है जो महासाध्वी अध्यात्म योगिनी श्री कौशल्या जी मं० सा० की सुशिष्सा हैं तथा महासती डॉ. मंजु श्री जी म. सा. के नाम से प्रसिद्ध हैं। आपका जीवन बड़ा धार्मिक था। आपने ४५ वर्षों तक निरन्तर पौरषी तप एवं रात्रि का चउविहार किया। जीवन पर्यंत अष्टमी, चतुर्दशी की दया, १२ वर्ष के एकांतर एकासन तप, १०८ एकासने की अठाई, ग्यारह व्रत तेले बेले आदि संपन्न किये। अंतिम समय में तीन घंटे के संथारे सहित देवलोक गमन हुआ। ७. १६५ श्रीमती रम्मादेवी चोरड़िया :
आप चाँदनी चौंक दिल्ली निवासी श्रीमान् लालचंद जी चोरड़िया की धर्मपत्नी थी। आपने वर्षों तक धार्मिक पाठशाला का संचालन किया एवं अध्यापन का कार्यभार संभाला। आपके द्वारा शिक्षित सात कन्याओं ने दीक्षा ली, कई श्राविकाएँ बनी। आप पंजाब की प्रसिद्व महासाध्वी स्व. पू. श्री मोहनदेई जी महाराज की संसार पक्षीय बहन थी । आपने अंतिम समय में ७२ घंटे के संथारे सहित, उत्कष्ट परिणामों से देवलोक गमन किया । १५६
७. १६६ श्रीमती प्रभा जैन :
आप जम्मू श्रमण-संस्कृति मंच की अध्यक्षा रह चुकी हैं। मंच की आप फाउंडर सदस्या हैं। आप न्यू एरा एन्वायरनमेंट स्कूल की संचालिका एवं प्राध्यापिका हैं। बच्चों को आप नैतिक, सामाजिक एवं धार्मिक शिक्षा भी साथ- साथ देती हैं। आप एक कर्मठ कार्यकर्त्री हैं तथा मन के लिए सभी कार्य सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न करती हैं। सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में आपका अभूतपूर्व योगदान रहता है । १६०
७.१६७ श्रीमती पूर्णिमा. पी. गादिया :
आप पूना निवासी हैं। आपने S. N.D. T. College of Home Science से चाइल्ड डेवेलपमेंट स्पेशलाइज़ेशन की डिग्री प्राप्त की थी। आप विभिन्न संस्थाओं का कार्य भार सम्भालती हैं। जिसका संचालन आप बड़ी कुशलता के साथ कर रही है। आपने बच्चों और महिलाओं के विकास के लिए सन् २००० में दिशा महिला विकास सेवा संस्थान की स्थापना की । सन् १६६६ में स्थापित दिशा संस्थान की आप प्रथम महिला सदस्या थी। आपने आगाखान फाउंडेशन तथा ए. आर. सी. संस्था के साथ कार्य किया है तथा सर्व सेवा संघ आदि महिला संस्थानों में सक्रिय कार्यकर्त्ता रहीं है ।
लड़कियों के विकास के लिए तथा विधवा महिलाओं के लिए नैतिक एवं भावनात्मक सहयोग प्रदान किया है। सिलाई, कढ़ाई, बुनाई आदि विभिन्न कलाओं को सिखाकर स्वावलम्बी बनाया है। आपने इन विभिन्न सेवाओं के लिए १५ से अधिक पुरस्कार सरकार एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्राप्त किये हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपके सामाजिक कार्यों की प्रशंसा में आपकी सूचनाएँ छपती रही हैं। इस प्रकार पूर्णिमा गादिया जी एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उभरकर आती है । १६१
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