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आधुनिक काल की जैन श्राविकाओं का अवदान
श्रीमती की पुत्री चोरड़िया रमा बहन और पुत्रवधु लीलावती बहन आजाद हिन्द फौज की रानी झांसी रेजीमेंट में सक्रिय कार्य करती थी। लीलावती बहन के शब्दों में 'जब ब्रिटिश ने रंगून छोड़ दिया और जापानियों ने रंगून पर अधिकार जमा लिया तब कुछ समय के लिए आपाधापी मच गई थी। कई मास तक भारतीय स्त्रियां घरों से बाहर नहीं निकल सकी थी। हमने अपने मकान पर एक बोर्ड लगा दिया था कि इस घर में महात्मा गांधी, पंडित नेहरु तथा अन्य भारतीय नेता आकर ठहरे हैं। इस घर में नेशनलिस्ट भारतीय रहते हैं। इसे पढ़कर सोल्जर हमें कभी किसी तरह हैरान नहीं करते थे। २१ अक्तूबर १६४३ को वर्मा और मलाया में झांसी की रानी रेजीमेंट स्थापित करने का कार्य पूरा हुआ। तब रात दिन बम वर्षा होती रहती थी । आवश्यकता पड़ने पर हम खुले मैदान में हथियारों से सुसज्जित खड़ी रहती थी। हम घायलों की सेवा-सुश्रूषा करने और अस्पताल ले जाने का कार्य भी करती थी।" ७.६५ सर्वती बाई या सरस्वती देवी :
सर्वतीबाई का जन्म १६०६ के आसपास हुआ। आपके पिता का नाम श्री सांवलदास था। शादी के कुछ दिनों बाद ही वैधव्य का दारूण दुःख आप पर आ पड़ा। अतः आप अपने पिता के घर रहने लगी। राष्ट्रीयता की भावना आप में जन्मजात थी ही। पति के निधन के बाद आपने देशसेवा का निश्चय किया और विभिन्न आन्दोलनों में सक्रिय भाग लेने लगी। जिसके कारण आपको दो बार जेल यात्रा करनी पड़ी। आपने अन्य महिलाओं को भी इन आन्दोलनों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया था। देशप्रेम के साथ-साथ हृदय में विद्यमान धार्मिक संस्कार आपको धार्मिक कार्यों में भाग लेने के लिए प्रेरित करते रहते थे। एक बार एक मुनि-संघ आगरा आया। आपने मुनिश्री के प्रवचनों को ध्यानपूर्वक सुना और दीक्षा धारण कर ली।८।। ७.६६ श्री सरदार कुंवर लूणिया :
अजमेर (राजस्थान) के प्रसिद्ध देशभक्त श्री जीतमल लूणिया की धर्मपत्नी श्रीमती सरदार कुंवर लूणिया पर्दाप्रथा का बहिष्कार करने वाली तथा राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने वाली ओसवाल जैन समाज की एक स्त्री रत्न थी। १६३३ में राष्ट्रीय आन्दोलन में आपने भाग लिया। जब लूणिया जी जेल चले गये तो कुछ समय बाद आपने विदेशी कपड़ों की दुकानों पर पिकेटिंग की, फलस्वरूप गिरफ्तारी हुई और छह महीने की जेल की सजा पाई। आप पांच-छह महिलाओं का जत्था लेकर गई थी। सभी गिरफ्तार कर ली गई। मजिस्ट्रेट ने आपको 'ए' क्लास तथा अन्य महिलाओं को 'सी' क्लास जेल में रखा। आपने इसका विरोध किया और अपने तीन वर्षीय पुत्र के साथ 'सी' क्लास में ही रही। ७.६७ श्रीमती सज्जन देवी महनोत :
उज्जैन (म. प्र.) के प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी श्री सरदार सिंह महनोत की धर्मपत्नी श्रीमती सज्जन देवी महनोत का जन्म १६०४ के आस-पास ग्वालियर राज्य के राजप्रतिष्ठित श्री सुगनचंद भंडारी के यहाँ हुआ था। तत्कालीन पर्दा-प्रथा, दिखाऊ कुलीनता की आपने चिन्ता नहीं की और मिडिल (आठवीं कक्षा) तक शिक्षा ग्रहण की। १६३० के आन्दोलन में सरकारी आदेश की अवहेलना कर आप चार माह जेल में बन्द रही। १६३२ के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी आपने जेल यात्रा की। १६४२ में आप अनेक बार गिरफ्तार हुई और छोड़ दी गई। १६४३ में आप नजरबंद हुई और १६४६ में छूटी। आपके पुत्र श्री राजेन्द्र कुमार महनोत और भतीजे श्री तेज बहादुर महनोत ने भी जेल की दारूण यातनायें सही। ७.६७८ श्रीमती शीलवती मित्तल :
श्रीमती शीलवती मित्तल प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी बाबू नेमीशरण मित्तल की धर्मपत्नी थी। अपने पति के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर दो बार जेलयात्रा की। आप कांग्रेस की प्रत्येक सभा में भाग लेती थी। आपके पुत्र भी आपकी तरह राजनैतिक कार्यों में लगे रहे।६१ ७.६६ श्रीमती विद्या देवी जैन :
दिल्ली निवासी श्रीमान् शीतल प्रसाद जैन की आप धर्मपत्नी हैं। आपकी आयु ८५ वर्ष की है। आपने एम. ए. तथा एल. एल. बी तक की शिक्षा प्राप्त की है। आप कॉग्रेस एवं गांधीवादी विचारों से प्रभावित हैं। आप ३० वर्ष की आयु से ही स्त्री शिक्षा एवं
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