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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र | __संदर्भ ग्रंथ प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य आदि प्रा. ज्ञा. तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री नमिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 137 137 137 537 137 5341530 | सोमीपु, झटकू 535 | 1622 | भूलाई, हरषादे 536 1528 | सुहडादे, देवलदे | 1531 | सजलदे, मटकू 538 1531 हषूसु 1503 | माणिकदे 540 | 1508 | हेमादे, डाही 541 | 1622 | सबू, जीवादे 137 प्रा. ज्ञा. श्री लक्ष्मीसागर सूरि भ. श्री धर्मनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 पंचाणच गोत्र | श्री हीरविजयसूरि भ. श्री संभवनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 ओस. वंष कोरंट श्री सावदेवसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | श्री श्री ज्ञा. पूर्णिमा गुणधीरसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 तपा. श्री जयचंद्रसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 ऊ. ज्ञा. संडेर षांतिसूरि | भ. श्री अजितनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 श्री श्री ज्ञा. तपा. श्री हीरविजयसूरि | भ. श्री चतुर्विंशतिपट्ट. | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | जी 539 137 138 | 138 542 | 1520 | गुरूदे, ठणकू प्रा. ज्ञा. भ. श्री पार्श्वनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 138 ओसवाल कक्कसूरि चैत्र श्री जिनदेवसूरि 1506 | कर्मादे, अमरी श्री श्री ज्ञा. जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 138 भ. श्री चंद्रप्रभनाथ | चतु. जी 5441553 | गोमति, कर्मादे श्री श्री वंष पिप्पल श्री धर्मवल्लभसूरि | भ. श्री नमिनाथ चतु. | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 138 545 | 1528 | झांझण, लषीपु, वाल्ही 546 11660 विमलादे श्री श्री ज्ञा. | 139 547 | 1566 | निरि, माकू ऊकेष ज्ञा. | तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री अंबिका जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 तपा. श्री नयविजयगणि भ. श्री संभवनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 तपा. श्री हेमविमलसूरि भ. श्री मुनिसुव्रत जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 तपा. विजयसेनसूरि भ. श्री वासुपूज्य जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 उपकेष श्री कक्कसूरि भ. श्री अजितनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 139 548 11653वीरा प्रा. ज्ञा. 140 549 | 1518 | हमीरदे, 140 उप. ज्ञा. कुकुटगोत्र प्रा. ज्ञा. 5501552 | धर्मादे, कर्मादे, लीलादे 551 | 1507 | सालहू पूरी 552 | 1573 | धर्मादे, सोनाई श्री ज्ञा. ओस. ज्ञा. | नागेन्द्र श्री हेमसिंहसूरि | भ. श्रीशीतलनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 140 | सिद्धांत सोमचंद्रसूरि भ. श्रीशांतिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 141 | कोरंट श्री नन्नसूरि भ. श्री आदिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 141 भ. श्री आदिनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 141 तपा. श्री विजयराजसूरि | भ. श्री पार्श्वनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 141 ओसवाल श्री सूरि भ. श्री सुविधिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 141 553 | 1571 मरधू, रत्नादे श्री श्री ज्ञा. 554 1721 | पाषड़ प्रा.ज्ञा. 555 1563 | मणकाई, रूपाई कुमुटगोत्र. ऊकेष ज्ञा. 556 1604 | गोराई | भ. श्रीशांतिनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 141 557 | 1560 | रंगाई, जासलदे 11533 | खीमादे, सोमी, पलहाई 559 | 1561 | हफूंपु, बीराई, गंगादे श्री श्री ज्ञा. श्री श्री ज्ञा. ओस वंष ओएस वंष विजयदानसूरि पूर्णिमा. पुण्यरत्नसूरि अंचल जयकेसरीसूरि अंचल भावसागरसूरि अंचल भावसागरसूरि 558 भ. श्री धर्मनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 142 | भ. श्री अजितनाथ जी भ. श्री आज जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 भ. श्री सुमतिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 1 142 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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