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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र 3374 | 1511 | पाल्हणदे वीकलदे | श्री. श्री. ज्ञा. 175 प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ । गच्छ/आचार्य आदि पूर्णिमा श्री भ. श्री अजितनाथ जै.धा.प्र.ले.स. राजतिलकसूरि श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री विमलनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. जी बृहत्तपा श्री जिनरत्नसूरि | भ. श्री मुनिसुव्रत | जै.धा.प्र.ले.स. जी 3375 | 1523 | लखमादे अमरीनाथी | प्रा. ज्ञा. 176 3376 | 1532 | आजी, झाली, रामति | प्रा. ज्ञा. 176 जी 3377 1527 | डाही, आसी श्री. श्री. ज्ञा. जै.धा.प्र.ले.स. 177 विमल श्री धर्मसागरसूरि भ. श्री श्री अजितनाथ जी | पूर्णिमा श्री गुणसमुद्रसूरी | भ. श्री कुंथुनाथ 3378 | 1505 | सामलदे श्री. श्री. ज्ञा. जै.धा.प्र.ले.स. 177 जी 3379 | 1532 | धांधलदे फकू श्री. श्री. वंष अंचल जयकेसरी सूरि । भ. श्री सुविधिनाथ जै.धा.प्र.ले.स. जी 3380 | 1513 | सुहडदे, अमरी पूर्णिमा श्री कमलसूरि 1178 3381 | 1590 | सोनाई मोढ ज्ञा तपा श्री धनरत्नसूरि 178 3382 | 1510 | सोहगदे, मांगू श्री. श्री. ज्ञा. | नागेन्द्र गुण समुद्रसूरि भ. श्री शांतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. जी भ. श्री शांतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. जी | भ. श्री कुंथुनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. जी भ. श्री नमिनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. जी | भ. श्री विमलनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. 178 3383 | 1582 | सुहवदे, सिरिया श्री. श्री. ज्ञा. चैत्र श्री विजयदेवसूरि 179 3384 | 1515 | वरजू, सोनू श्री. श्री. ज्ञा. पूर्णिमा सागरतिलकसूरि 179 3385 1505 | खीमलदे, मांजु श्री. ज्ञा. आगम श्री हेमरत्नसूरि | भ. श्री सुविधिनाथ जै.धा.प्र.ले.स. 3386 1515 | जानूदे श्री. ज्ञा. 193 3387 | 1501 | पत्रापदी, राजू श्री. श्री. ज्ञा. पूर्णिमा श्री साधुरत्नसूरी | भ. श्री सुविधिनाथ जै.धा.प्र.ले.स. जी सिद्धांत श्री सोमचंद्रसूरि भ. श्री कुंथुनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. जी पिप्पल श्री धर्मसागरसूरि | भ. श्री विमलनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. 194 3388 | 1528 रतनू, भाणीदे श्री. श्री. ज्ञा. 1519 | हरखू, भवकूबाई श्री. ज्ञा. पूर्णिमा श्री साधुरत्नसूरि | भ. श्री पार्श्वनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. 3390 | 1512 | पाल्हणदे, माल्हणदे | श्री. ज्ञा. श्री वीरसूरि भ. श्री सुमतिनाथ जै.धा.प्र.ले.स. 3391 | 1583 | पुजारदे, हेमादे उप. ज्ञा. श्री यक्षदेवसूरि | पूर्णिमा श्री पुण्यरत्नसूरि 3392 1536 | धर्मिणी, गूरी, कुंअरी | श्री. श्री. ज्ञा. रलमाण 3393 | 1528 श्री. श्री. ज्ञा. भ. श्री शांतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.रा. जी | भ. श्री आदिनाथ | जै.धा.प्र.ले.न. | जी | भ. श्री शांतिनाथ जै.धा.प्र. पिप्पल धर्मसागरसूरि जी 3394 1501 | कमलादे माल्हणदे 198 अंचल श्री जयकीर्तिसूरि | भ. श्री अजितनाथ जै.धा । जी | चित्र श्री लक्ष्मीदेवसूरि भ. श्री अजितनाथ जैसा 3395 | 1513 | कर्मादे, धारण श्री. श्री. ज्ञा. 198 3396 1511 | रतू श्री. श्री. ज्ञा. श्री सूरि भ. श्री कुन्थुनाथ 198 जी | 3397 | 1509 | राजी, पूरी श्री. श्री. ज्ञा. सिद्धान्त श्रीसोमचन्द्रसूरि | भ. श्री सुमतिनाथ जी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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