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________________ 526 सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य तपा. श्री...... 3072 | 1541 | सिरीठी, लाडिकि मोढ़ ज्ञा. प्रतिमा निर्माण | संदर्भ ग्रंथ आदि भ. श्री संभवनाथ जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 199 चतु. जी भ. श्री सुमतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 200 जी भ. श्री शांतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 - 200 3073|1534 | भीमलदे, जयतु नाणावाल श्रीधनेष्वरसूरि 3074|1552 | काऊ, रंगी मोढ़ ज्ञा. वृद्धतपा. उदयसागरसूरि जी 3075 | 1524 | सहिषलदे, कपूरी श्री. श्री. ज्ञा. । पूर्णिमा. गुणसुंदरसूरि भ. श्री चतुर्विशांति | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 200 नमिनाथ जी भ. श्री पार्श्वनाथ जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 201 3076 | 1525 | रोहिण ओस. ज्ञा. श्री विजयदानसूरि 66) 3077 | 1529 | रूपाई, रतनाई उपकेष, वंष जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 201 3078 | 1531 | करणू पारबती श्री. श्री. ज्ञा. आगम. श्री शीलवर्धनसूरि जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 201 भ. श्री वासुपूज्य | जी भ. श्री संभवनाथ जी भ. श्री नमिनाथ | जी भ. श्री सुमतिनाथ 3079 | 1573 | आसी, मंगाई, पल्हाई | श्री. श्री. ज्ञा. पूर्णिमा सद्गुरू जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 201 3080 1510 | धर्माई, हंसाई श्री. श्री. ज्ञा0 बृद्धतपा. श्रीरत्नसिंहसूरि जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 202 3081 | 1512 | राजलदे श्री. ज्ञा. | ब्रह्माण मुनिचंद्रसूरि #5555555 भ. श्री शीतलनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 202 3082 | 1517 | वासू श्री. श्री. ज्ञा. | श्रीसाधुसुंदरसूरि भ. श्री विमलनाथ जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 203 3083 | 1558 | रूडीसु ओसवंष श्रीसूरि भ. श्री पार्श्वनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 203 3084 | 1541 | सिरीठ लाडिकि मोढ़. ज्ञा. तपा. श्री...... 3085 1534 | भीमलदे, जयतु नाणावला. श्रीधनेष्वरसूरि 3086 1552 | काऊ, रंगी मोढ़. ज्ञा. | वृद्धतपा. उदयसागरसूरि भ. श्री संभवनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 199 चतु. जी भ. श्री सुमतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 200 जी भ. श्री शांतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2, 200 जी भ. श्री चतुर्विंशाति जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 201 नमिनाथ जी भ. श्री पार्श्वनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 201 3087 | 1524 | सहिषलदे, कपूरी श्री. श्री. ज्ञा. | पूर्णिमा. गुणसुंदरसूरि 3088 | 1525 रोहिणि ओस ज्ञा. श्री विजयदानसूरि 3089 1529 | रूपाई, रतनाई | उपकेष. वंष भ. श्री वासुपूज्य जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 201 30901531 | करणू, पारबती श्री. श्री. ज्ञा. आगम. श्री शीलवर्धनसूरि भ. श्री संभवनाथ जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 201 55555 3091 | 1510 | धाई, हंसाई श्री. श्री. ज्ञा. बृद्धतपा. श्रीरत्नसिंह भ. श्री सुमतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 202 3092 | 1512 | राजलदे श्री. ज्ञा. ब्रह्माण मुनिचंद्रसूरि भ. श्री शीतलनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 202 3093 | 1547 | संपूरी, हर्षाई श्री. श्रीमाल ज्ञा. | भावदेवसूरि भावडार भ. श्री सुमतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 196 3094 | 1519 | राजू, संपूरी वायड ज्ञा. | आगम. हेमरत्नसूरी भ. श्री धर्मनाथादि जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 196 पंचतीर्थी जी भ. श्री आदिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 196 3095 | 1512 | लूण श्री उपकेष ज्ञा. मंडोवरा गोत्र धर्मघोष श्रीसाधुरत्नसूरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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