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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य पूर्णिमा श्री मुनिचंद्रसूरि 2527 1558 | वीजलदे,लड्ढी ओस.ज्ञा. प्रतिमा निर्माण | संदर्भ ग्रंथ आदि भ. श्री संभवनाथ जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 19 | जी भ. श्री शांतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 19 | जी म. श्री धर्मनाथ जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 20 2528 | 1517 | वरजूदेवी,कुतिगदे,अमरी | | प्रा.ज्ञा. श्री रत्नसिंहसूरि 25251527 | कपूरी अमरादे, श्री. श्री. ज्ञा. | श्री रत्नदेवसूरी 2530 | 1549 | डाही,नाथी ओस,ज्ञा.ध्रुवगोत्र | श्री रत्नसूरि जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 20 भ. श्री मुनिसुव्रतस्वामी जी भ. श्री अरनाथ 2531 | 1577 | जीवी, हीरादे श्रीधनराजसूरि जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 20 हुंबड ज्ञा. मंत्रीष्कवरगोत्र श्री. श्री. ज्ञा. जी 25321516 | जसमादे,आसी, | आगम श्री हेमरत्नसूरि भ. श्री जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 21 विमलनाथादि पंच. भ. श्री वासुपूज्य | जै.धा.प्र.ले.सं.भा2 | 21 2533 | 1508 | देमाई, कपूराई ओस. ज्ञा. श्री गुणसुंदरसूरि 2534 | 1516 | चांपलदे, हरषू टूबी हुंबड ज्ञा. श्री भुवनकीर्ति 2535 | 1525 | रूपिणि, लाकू सहिजलदे | हुंबड, ज्ञा. विमलेंद्रकीर्ति भ. श्रीयुगादिदेव जै.धा.प्र.ले.सं.भा.21 21 जी भ. श्री अजितनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 21चतु. भ. श्री वासुपूज्य जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 22 22 | उपकेष. ज्ञा. संडेर श्री सालेसूरि 2536 | 1521 | लखणी, आल्हणदे 2537 | 1542 | भाकू, जसाई, लखी, श्री. श्री. ज्ञा. आगमश्रीसूरि भ. श्री विमलनाथ जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 22 2538 | 1520 | फालू, अमकूसु प्रा. ज्ञा. जयकेसरीसूरी भ. श्री सुमतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 23 2539 | 1511 | पालहणदे, तेजू, श्री. श्री. ज्ञा. श्री गुणसमुद्रसूरी भ. श्री श्रेयांसनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 23 2540 | 1531 | रूपिणि, अमकू आ. वीरसेन..... भ. श्री वासुपूज्य जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 24 नारसिंह ज्ञा. हष्दसोहगोत्र श्री श्री ज्ञा. 2541 | 1523 | हाई,नोडी तपा.श्रीलक्ष्मीसागरसूरी | भ. श्री सुमतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 24 | जी 2542 | 1524 | नायकदे, जिनहर्षसूरी भ. श्री अंबिकादेवी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | खरतर मुहतगोत्र प्रा. ज्ञा. 2543 | 1521 | कर्मादे, फदू, पद्माई तपा.श्रीलक्ष्मीसागरसूरी भ. श्री सुमतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 जी 2544 | 1532 | वाछपु, हीरादे तपा.श्रीलक्ष्मीसागरसूरी भ. श्री आदिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 25 2545 | 1524 | कर्मादे, चाई श्री. श्री. ज्ञा. वृहद् तपा.श्रीज्ञानसागरसूरी भ. श्री शीतलनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 25 2546 |1528 | माकू रही श्री. श्री. ज्ञा. श्री लक्ष्मीदेवसूरी भ. श्री आदिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 25 2547 | 1510 | हरखू, कउतिगदे, श्री. श्री. ज्ञा. श्री पूर्णचंद्रसूरि 155555FFIFTS भ. श्री पद्मप्रभु | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 25 जी भ. श्री पार्श्वनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 26 2548 | 1511 | रयणी, चाई, प्रा. ज्ञा. तपा. श्री रत्नषेखरसूरी 2549 | 1537 | रांकु, नयणादे श्री सिंहदत्तसूरी भ. श्री सुमतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 26 हुंबड ज्ञा. बुधगोत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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