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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
क्र०
संवत्
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
।
प्रेरक/प्रतिष्ठापक
गच्छ/आचार्य आगम. सोमरत्नसूरि
1836
1549 | अमकू माहलणदे
श्री. श्री
। प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ
आदि | भ. श्री पार्श्वनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी भ. श्री अजितनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
जी | भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1837
| 1549 | चांदु, हर्षाई
।
उपकेष. ज्ञा
बृहद्. पुण्यप्रभुसूरि
1838
1549 | सोही, रमाई
श्री. श्रीमाल
पूर्णिमा. मुनिचंद्रसूरि
18391549 | जाकु, लाड़कि
श्री. श्रीमाल
पूर्णिमा. मुनिचंद्रसूरि
| भ. श्री शीतलनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
जी भ. श्री श्रेयांसनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1840
1549 | सोही, धर्माई
| श्री. श्रीमाल
पूर्णिमा. मुनिचंद्रसूरि
जी
18411549 | फदी, पुहति
श्री. श्रीमाल
पूर्णिमा. मुनिचंद्रसूरि
भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी | भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
1842
| 1549 | मिहसू, रूडी ।
श्री. श्रीमाल
आगम, मुनिरत्नसूरि
1843
1549 | जेठी, सोनाई
ऊकेष. वंष
| खरतर. जिनहर्षसूरि
| भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी | भ. श्री श्रेयांसनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
18441549 | सांतू, नायकदे
उसवाल. ज्ञा
पूर्णिमा. मुनिचंद्रसूरि
जी
18451549 | लक्ष्मी, वीरू, रमादे
श्री. श्री
सुविहितसूरि
भ. श्री नेमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
1846
1549 | लाडा, लतादे, वालु | श्री. श्री
शांतिसूरि
भ. श्री अजितनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
1847
1551वांनू, पांचू, कुंअरी
प्रा. ज्ञा
तपा. हेमविमलसूरी
| भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1848
उस. ज्ञा
तपा. हेमविमलसूरी
भ. श्री पार्श्वनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
11552 | वल्ही, हंसाई,
लालीई, सरूपदे 1552 | वइजलादे, गंगादे
1849
उस, ज्ञा
श्रीसूरि
भ. श्री चंद्रप्रभु जी दि.जै.इ.इ.अ.
18501553 | अमकू लसमाई
श्री. श्री
साधू पूर्णिमा. चंद्रसूरि
1851
1553
पूरी
तपा. इंद्रनंदिसूरि
| भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. | जी
भ. श्री नेमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. | जी | भ. श्री मुनिसुव्रत | दि.जै.इ.इ.अ.
18521553
मनी, नाथी
प्रा. ज्ञा
तपा. इद्रनंदिसूरि
1
1853
| 1553
माणिकदे
प्रा. ज्ञा
आगम. मुनिरत्नसूरि
भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
1854
1553 | कीकी आणुयरि
श्री. ज्ञा
वृद्धतपा. उदयसागरसूरि | भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ.
1855
| 1553 | ललितादे, रगू
उस. वंष
वृद्धतपा. उदयसागरसूरि | भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
1856
1553 | रत्नाई, मल्हाई, नाथी | श्री. श्री
वृद्धतपा. उदयसागरसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी वृद्धतपा. उदयसागरसूरि | भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1857
1554 | मनकू अमरादे
श्री. श्री
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