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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
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क्र०
संवत्
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
प्रतिमा निर्माण
संदर्भ ग्रंथ
।
प्रेरक/प्रतिष्ठापक
गच्छ/आचार्य श्रीसूरि
आदि
1771
1531
धनी, मंगाई
श्री. श्रीमाल
भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
1772
| 1531 | नाथी, टबकू
डीसावाल. ज्ञा
तपा. सुमतिसुंदरसूरि
| भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
17731531 | जीविणि
श्री श्रीमाल
तपा. ज्ञानसागरसूरि
भ. श्री नेमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
1774
1532
| रूडी
उपकेष ज्ञा
भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
जीरापल्लीय. सागरचंद्रसूरि आगम. अमररत्नसूरि
1775
1532 | राजलदे, लाड़िकी
श्री. श्रीमाल
भ. श्री श्रेयांसनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
जी
1776
1532 | कपूरदे
श्री. श्रीमाल
कमलप्रभुसूरि
17771532 | रूपी, सहजलदे ।
प्रा. ज्ञा
लक्ष्मीसागरसूरि
भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री कुंथुनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री सुविधिनाथ दि.जै.इ.इ.अ..
1778
| 1532 | बीजलदे
उसिवाल ज्ञा
महेश्वरसूरि
जी
1779
| 1532
हफूं, मफी
श्री. श्रीमाल
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भ. श्री अंबिका जी| दि.जै.इ.इ.अ.
1780
1533 | लाडी, जीविणि
उकेष
श्रीसूरि
भ. श्री शीतलनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
जी
1781
1533 | तीणादे
श्रीमाल. ज्ञा
उदयसागरसूरि
1782
| 1533 | हांसू रमकू
श्री श्रीमाल
| बुद्धिसागरसूरि
भ. श्री पार्श्वनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1783
1533
उदयचंद्रसूरि
रूपिणि, सिरिआदेउ. ज्ञा प्रीमलदे हर्षा राणी, वीडू
प्रा. ज्ञा
जी
17841533
गुणदेवसूरि. नागेंद्र
भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
1785
1533
हांसी, सोमी
प्रा. ज्ञा
जयकेसरीसूरि, अंचल
भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
1786
उसवंष
श्रीसूरि
भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
| 1533 हीसु, सूपी, नाई,
| भानू | 1533 | लाढी, झमकू
जी
1787
प्रा. ज्ञा
सिद्धसूरि. द्विवंदनीक
भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
1788
1534 | तेजलदे, राउ, सारू
श्री श्रीमाल
चैत्र. लक्ष्मीसागरसूरि.
भ. श्री पंचतीर्थी | दि.जै.इ.इ.अ.
1789
1534 | कउतिगदे
श्री श्रीवंष
अंचल. जयकेसरीसूरि.
भ. श्री सुविधिनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
17901534 लाषलदे, नाथी
उकेष
तपा. लक्ष्मीसागरसूरि
भ. श्री
दि.जै.इ.इ.अ. चंद्रप्रभुस्वामी जी | भ. श्री पार्श्वनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
17911534
करणू
उकेष
तपा. लक्ष्मीसागरसूरि
1792
| 1534 | पोमादे
उसवाल. वद्ध ज्ञा
| तपा. श्रीसूरि
भ. श्री शीतलनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
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