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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
क्र०
संवत्
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
प्रेरक/प्रतिष्ठापक - प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य
आदि सुविहितसूरि
भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1618
1521 | धर्मादे भली
श्री. श्री ज्ञा.
1619
1521 | हांसलदे, वाल्हादे
उसवाल
लक्ष्मीसागरसूरी
भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1620
1521 | पाकू, माही
श्री. श्री ज्ञा.
पिप्पल. चंद्रप्रभसूरि.
भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
16211522 | मेटू दडू |
प्रा. ज्ञा
तपा. सावदेवसूरि
भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
1622
उकेश
तपा. लक्ष्मीसागरसूरि
भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
| 1522 नीतादे, जसमादे,
षीमलदे 22 | कपूरी, ससी
1623
| 15
उपकेश ज्ञा
पूर्णिमा. पुण्यरत्नसूरि
भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी | भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1624
| 1522 | गांगी, पुहती
नीमा ज्ञा
तपा. लक्ष्मीसागरसूरि
जी
1625
1522 | काऊ, रत्नू
उपकेश ज्ञा
वृद्ध. देवचंद्रसूरि
भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
| 1523
प्रा. ज्ञा
तपा. पुण्यनंदगणी
भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
1626
नालेदे, जइती,
जोगाण 16271523 | सुहासिनि, पुहती,
सहजू 1628 1523 | वाल्ही सांकु
प्रा. ज्ञा
तपा लक्ष्मीसागरसूरि
श्री. श्री ज्ञा.
पूर्णिमा. गुणतिलकसूरि
| भ. श्री मुनिसुव्रत | दि.जै.इ.इ.अ.
जी | भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी भ. श्री मुनिसुव्रत | दि.जै.इ.इ.अ.
1629
1523
सारू, धारू, माधलदे | श्री. श्री ज्ञा.
पूर्णिमा. गुणतिलकसूरि
1630
| 1523 | मेघु, काछा
गूजर. ज्ञा
तपा. लक्ष्मीसागरसूरि
| भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
1631
| 1523 | देकू रूपिणि, श्रेयार्थ | जालहरा. ज्ञा
| पुर्णिमा. साधुसुंदरसूरि | पूर्णिमा. साधुसुंदरसूरि
| भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ.
जी | भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1632
| 1523 | लीलादे, जानू
श्रीमाल. ज्ञा
1633
प्रा. ज्ञा
तपा. लक्ष्मीसागरसूरि
भ. श्री ऋषभनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
| 1523 | षनी, धर्मिणि
सहजलदे |1523 | कपूरी पद्माई
जी
.
1634
उके. ज्ञा
सावदेवसूरि
भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1635
प्रा. ज्ञा
तपा. लक्ष्मीसागरसूरि.
1523 लषम, लाली,
अणुअरि 1523 | जइतू
भ. श्री शीतलनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1636
| श्री. श्री.
राजतिलकसूरि
1837
| 1523 | सिंगारदे, माल्हणदे,
श्री. श्री.
तपा. ज्ञानसागरसूरि
| भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
आसू
1638
1523 | गिरसू, रामति
श्री. श्री.
तपा. ज्ञानसागरसूरि
भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1639
1523 | सुहवदे
खरतर. जिनहर्षसूरि
भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
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