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________________ 460 सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र प्रेरक/प्रतिष्ठापक - प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य आदि सुविहितसूरि भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1618 1521 | धर्मादे भली श्री. श्री ज्ञा. 1619 1521 | हांसलदे, वाल्हादे उसवाल लक्ष्मीसागरसूरी भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1620 1521 | पाकू, माही श्री. श्री ज्ञा. पिप्पल. चंद्रप्रभसूरि. भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी 16211522 | मेटू दडू | प्रा. ज्ञा तपा. सावदेवसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी 1622 उकेश तपा. लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ. | 1522 नीतादे, जसमादे, षीमलदे 22 | कपूरी, ससी 1623 | 15 उपकेश ज्ञा पूर्णिमा. पुण्यरत्नसूरि भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी | भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1624 | 1522 | गांगी, पुहती नीमा ज्ञा तपा. लक्ष्मीसागरसूरि जी 1625 1522 | काऊ, रत्नू उपकेश ज्ञा वृद्ध. देवचंद्रसूरि भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी | 1523 प्रा. ज्ञा तपा. पुण्यनंदगणी भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ. 1626 नालेदे, जइती, जोगाण 16271523 | सुहासिनि, पुहती, सहजू 1628 1523 | वाल्ही सांकु प्रा. ज्ञा तपा लक्ष्मीसागरसूरि श्री. श्री ज्ञा. पूर्णिमा. गुणतिलकसूरि | भ. श्री मुनिसुव्रत | दि.जै.इ.इ.अ. जी | भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री मुनिसुव्रत | दि.जै.इ.इ.अ. 1629 1523 सारू, धारू, माधलदे | श्री. श्री ज्ञा. पूर्णिमा. गुणतिलकसूरि 1630 | 1523 | मेघु, काछा गूजर. ज्ञा तपा. लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी 1631 | 1523 | देकू रूपिणि, श्रेयार्थ | जालहरा. ज्ञा | पुर्णिमा. साधुसुंदरसूरि | पूर्णिमा. साधुसुंदरसूरि | भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ. जी | भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1632 | 1523 | लीलादे, जानू श्रीमाल. ज्ञा 1633 प्रा. ज्ञा तपा. लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री ऋषभनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. | 1523 | षनी, धर्मिणि सहजलदे |1523 | कपूरी पद्माई जी . 1634 उके. ज्ञा सावदेवसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1635 प्रा. ज्ञा तपा. लक्ष्मीसागरसूरि. 1523 लषम, लाली, अणुअरि 1523 | जइतू भ. श्री शीतलनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1636 | श्री. श्री. राजतिलकसूरि 1837 | 1523 | सिंगारदे, माल्हणदे, श्री. श्री. तपा. ज्ञानसागरसूरि | भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. आसू 1638 1523 | गिरसू, रामति श्री. श्री. तपा. ज्ञानसागरसूरि भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1639 1523 | सुहवदे खरतर. जिनहर्षसूरि भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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