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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास क्र० संवत् | श्राविका नाम आदि 1377 | 1528 | वीरू, सहिदे, वरदे 135 . वंश/ गोत्र । प्रेरक/प्रतिष्ठापक - प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ । गच्छ/आचार्य श्री श्रीमाल वृहत्तपा ज्ञानसागर सूरि | भ. श्री कुंथुनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी उपकेषज्ञा हुडोयूरा श्रीदेव गुप्त सूरि भ. श्री आदिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. गोत्र | जी ऊ. ज्ञा. तपा श्री हेम विमल सूरि | भ. श्री शांतिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 1378 1544 | मोहणदेवी 138 | 1379 1552 | सारू, कील्हू 138 1380 1558 वरजू, जासू श्री श्रीमाल ज्ञा | श्री हेमरत्न सूरि 1381 | 1527 | करणूं, लशू श्री वीर वंष अंचल जयकेसरीसूरि 139 भ. श्री शीतलनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी भ. श्री श्रेयांसनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी | भ. श्री वासुपूज्य | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी भ. श्री कुंथुनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. 1382 | 1563 | हीरूं, पुहुति मोढ़. ज्ञा. तपा इंद्रनंदि सूरि 1383 1528 | मेघाई ओएस वंष अंचल 140 जी 1384 1570 हेमसिरि, नारिगदे, संघवीणि भ. श्री वासुपूज्य | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 141 सूराणा गोत्र धर्मघोश श्री नंदिवर्धनसूरि उप. ज्ञा. सोनी गोत्र | श्री देवसुंदर सूरि 1385 | 1538 पा.जै.धा.प्र.ले.स. 141 1386 | 1518 | राऊ श्री मोढ़ ज्ञा. श्री हेमप्रभ सूरि 141 भ. श्री शांतिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी 1387 श्रीसूरि भ. श्री सुविधिनाथ| पा.जै.धा.प्र.ले.स. 142 1388 1576 पूना, रेडाही, डूला, | डूगड़ गोत्र मूलाही | 1567 | लाबी, रूपी, जयमादे, | श्री. श्री. ज्ञा रत्ना | 1578 | तेजू, वीर भदेऊरा श्री सर्वदेव सूरि भ. श्री शांतिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 142 जी 1389 संडेर श्री शांति सूरि भ. श्री संभवनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 143 1390 1523 भावलदे त्पा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री शांतिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 144 जी 1391 1558 | पद्मलदे श्री देवगुप्तसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 144 उसवाल ज्ञा कठउतिया गोत्र सुचिंति गोत्र जी 13921567 | जस्मादे, हशु | 146 1393 1575 | आल्हशदे, विल्हणदे, प्रा. ज्ञा. | श्री नन्दीसूरि भ. श्री आदिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी तपा श्री जयकल्याणसूरि | भ. श्री संभवनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी द्विवंदणीक. श्री सिद्धसूरि | भ. श्री सुविधिनाथ| पा.जै.धा.प्र.ले.स. 147 13941512 | फाली, जासी 150 जी 1395 | 1567 |बाजी उपकेष. ज्ञा. उपकेश श्री सिद्ध सूरि भ. श्रीपार्श्वनाथ जी पा.जै.धा.प्र.ले.स. 150 1396 1553 | मानू धनाई ऊकेष वंष खरतर. श्रीजिनसमुद्रसूरि | भ. श्रीवासुपूज्य | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 157 जी 1397 1570 सोमलदे सुराणा गोत्र धर्मघोष. नंदिवर्धनसूरि 157 | भ. श्री अजितनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स.. जी भ. श्री कुंथुनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. 1398 |1507 | मोटू, मंदोअरि श्री रत्नषेखरसूरि 157 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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