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________________ 446 सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ क्र० संवत् | श्राविका नाम वंश/गोत्र | पृ. प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ/आचार्य खरतर श्रीजिनचंद्रसूरि - प्रतिमा निर्माण | संदर्भ ग्रंथ आदि भ. श्री धर्मनाथ जी पा.जै.धा.प्र.ले.स. 1311 | 1534 | नीविणि | उकेशवंश जाहड गोत्र 55 1312 | 1534 | नमलदे श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री आदिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 55 जी 13131535 | मयहलदे उप. ज्ञा. श्रीदेव गुप्तसूरि भ. श्री पद्मप्रभु पा.ज.धा.प्र.ले.स. 55 1314 | 1546 | सिंगारदे ओस. श्रेष्ठि गोत्र श्रीदेव गुप्तसूरि | भ. श्रीचंद्रप्रभु जी | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 1552 | केल्ही, गिरसू ओसवाल ज्ञा. श्रीजिनसुंदरसूरि 56 भ. श्रीआदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी भ. श्री अजितनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. 1316 1555 सालिग 56 उप. वंष मेडतावाल | हर्शपुरीय. गोत्र श्रीगुणसुंदरसूरि सण्डेर बढ़ाला गोत्र श्रीशांतिसूरि जी जिस समय का कविता 1317 माता नाम । 1556 | तारू भ. श्री शांतिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 56 जी | 1559 / | देवल पल्हुबड़ गोत्र श्री मुनिदेव सूरि भ. श्री कुंथुनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 56 जी 1319 | 1559 | भंगादे, धनश्री उपकेषवंश खरतर. जिनहंससूरि | भ. श्री शीतलनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 56 जी 1320 | 1563 | देवलदे, वील्हणदे 57 धर्मघोश लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री सुमतिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी | उपकेश श्रीसिद्धसूरि भ. श्री नमिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 1321 1566 रूपादे 57 उपकेषवंश रांका गोत्र श्री वंश 1322 1572 रहा, रमादे, आहवदे नागेन्द्र सुगुरू भ. श्री वासुपूज्य | पा.जै.धा.प्र.ले.स. स. 57 जी 1323 1576 | रमादे हीरादे श्रीमाल ज्ञा. पूर्णिमा श्री मुनिचंद्रसूरि भ. श्री मुनिसुव्रत | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 157 जी 1324 |1576 | हेम श्री सुराणा गोत्र. धर्मघोश नन्दिवर्धनसूरि 57 1325 | 1576 | सवतादे, प्रेमलदे उप. ज्ञा. श्री शांतिसुंदरसूरि भ. श्री आदिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी भ. श्री मुनिसुव्रत | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी भ. श्री अभिनन्दन | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 58 1326 1592 | सूहवदे आदित्यनाग गोत्र. | उप. गच्छ श्री सिद्धसूरि |58 जी 13271599 | कील्हू सण्डेर गोत्र श्री शांति सूरि भ. श्री नेमिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 58 जी 1328 1500 उपकेष ज्ञा. तपा. श्री मुनिसुंदरसूरि भ. श्रीचंद्रप्रभु जी | पा.जै.धा.प्र.ले.स. | 106 मल्हाड़ लाखणदे चापल.दे | कल्हो, दत्तसिरी | उप. वीरोलिया गोत्र | श्रीऊजोअण सूरि भ. श्री संभवनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स.. 106 जी 1330 1588 | सहलालदे उप. ज्ञा. चोरडिया गोत्र ऊकेश श्रीसिद्धसूरि भ. श्रीसुमतिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. | 106 जी 1331 प्रा. ज्ञा. | श्री लक्ष्मीसागर सूरि भ. श्रीआदिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. | 106 | 1536 कर्मादे, नायकदे, हरशमदे 1533 | रूल्ही, जोगी जी 1332 ओस. ज्ञा. बड़ गोत्र | श्रीसूरि |108 भ. श्री शांतिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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