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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास 768 1509 | रूडी, काल्ही श्री. श्री. माल । विद्यासुंदरसूरि भ. श्री चंद्रप्रभु जी दि.जै.इ.इ.अ. 769 - 1509 हांसलदे, राही, लषमादे श्री. श्री. वृद्धतपा. रत्नसिंहसूरि भ. श्री शांतिनाथ जी | दि.जै.इ.इ.अ. 1509 | सइतलदे, राणी, श्री. श्री | पिप्पल. धर्मशेखरसूरि | भ. श्री संभवनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ. पूरी 771 | 1509 | समराधि, देसाई | उकेश. वंश चंडाली | खरतर. जिनभ्रदसूरि भ. श्री संभवनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ. गोत्र 1510 | | पांची, पूरी माणिकि श्री. श्री. अंचल. जयकेसरीसूरि भ. श्री कुंथुनाथ जी | दि.जै.इ.इ.अ. 1510 | संसारदे, रत्न | श्री. श्री. गुणरत्नसूरि भ. श्री वासुपूज्य जी | दि.जै.इ.इ.अ. 1510 | कपूरी श्री. ज्ञा हेमचंद्रसूरि भ. श्री सुमतिनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ. 775 1510 | देवाई, मका तपा. रत्नशेखरसूरि भ. श्री शांतिनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ. | 1510 | हांसलदे, मयकू श्री. श्री. पूर्णिमा. गुणसमुद्रसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ. 777 | 1510 | पालहणदे, घेघू श्री. श्री. श्रीसूरि भ. श्री शांतिनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ. 778 | 1510 | चंगी दीसावंश | खरतर. जिनसागरसूरि | भ. श्री अजितनाथ जी | दि.जै.इ.इ.अ. 779 1510 | सोषू ह— उके. चोपड़ा गोत्र | खरतर जिनसागरसूरि भ. श्री सुविधिनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ. 780 A कारुणा गोत्र | 1510 | हांसू, रगाई | जिनसागर दि.जै.इ.इ.अ. भ. श्री सुपार्श्वनाथ जी 781 | 1510 | रांकु, कलहणदे | प्रा. ज्ञा. आगम. देवरत्नसूरि भ, श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ. | 1510 | घीकी, पूना खरतर, जिनसागरसूरि भ. श्री सुमतिनाथ जी | दि.जै.इ.इ.अ. सुनामडा गोत्र वीसलपूरा ज्ञा. 783 | 1510 लाछलदे | ज्ञानकीय. शांतिसूरि भ. श्री कुंथुनाथ जी | दि.जै.इ.इ.अ. 784 1510 सारू श्री. श्री. चैत्र.लक्ष्मीदेवसूरि भ. श्री कुंथुनाथ जी | दि.जै.इ.इ.अ. 785 1510 रूपाई वायड़ गोत्र खरतर. जिनसागरसूरि भ. श्री महावीर जी दि.जै.इ.इ.अ. 786 1510 |साई, झमकू डीस. ज्ञा. तपा.रत्नशेखरसूरि भ. श्री संभवनाथ जी | दि.जै.इ.इ.अ. 787 1510 | वरजू, जसबादे उकेश. वंश खरतर.जिनभद्रसूरि | भ. श्री वासुपूज्य जी दि.जै.इ.इ.अ. 7881510 लखमादे पूरी | | प्रा. ज्ञा. तपा.रत्नशेखरसूरि | भ. श्री संभवनाथ जी | दि.जै.इ.इ.अ. भ 789 | 1510 | सूदी, दिउ प्रा. ज्ञा. तपा.लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री सुमतिनाथ जी | दि.जै.इ.इ.अ. 790 1510 सूहवदे सलजणपुर निवासी श्रीसुरि भ. श्री कुंथुनाथ जी | दि.जै.इ.इ.अ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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