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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास 403 क्र० | संवत् | श्राविका नाम वंश/ गोत्र 459 1506 भानदे प्रेरक/प्रतिष्ठापक प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ /आचार्य आदि काष्ठासंघ. कमलकीर्ति | भ. श्री चंद्रप्रभु जी जै.सि.भा. सन् 1935 | 13 जी की शिष्या खरतर. श्री जिनसागरसूरि | भ. श्री शांतिनाथ जी | जै.सि.भा. सन् 1940 460 1507 | हीरादे, षेतलदेओसवंश 4611509 मूंगा, मूला खरतर. श्री जिनसागरसूरि | भ. श्री जिन प्रतिमा | जै.सि.भा. सन् 1936 | 31 जी 4621509 चदुवंश लम्ब कंचुकान्वय चदुवंश लम्ब कंचुकान्वय अग्रोत गर्ग मूलसंघ प्रतापचंद्र देव 13 4631510 देन्ही, वारू | भ. श्री जिन प्रतिमा जै.सि.भा. सन् 1935 शांतिनाथ जी भ. श्री जिन प्रतिमा जै.सि.भा. सन् 1936 जी भ. श्री जिन प्रतिमा । जै.सि.भा. सन् 1936 4641511 | गोलसिरि पोरवाड़ जाति 31 जी - 4651512 सूहवदे श्रमण सन 1999 | 130 अंचल गच्छ. श्रीभावसागरसूरि अजितनाथ (बाई सोनाई पुण्यार्थी 466 1513 गविति काष्ठासंघ जै.सि.भा. सन् 1940 | 17 467 1513 गांगी काष्ठासंघ जै.सि.भा. सन् 1940 468 1512 वाछी, वीरू श्रीमाल ज्ञा. भ. श्री श्रेयांसनाथ जी । श्रमण सन 1999 131 4691515 | लड़ो | जै.सि.भा. सन् 1936 | 31 अग्रेत गोलालारान्वचे वीरवंश 470 1517 | जासु अंचल. जयशेखरसूरि भ. श्री सुमतिनाथ जी | श्रमण सन 1999 471 1504 वाछू, हीरू उकेष अंचल. जयकेसरीसूरि भ. श्री सुमतिनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. | 178 472 1563 | कस्तुराई, नाकू | उकेष, भंडारी गोत्र | खरतर श्रीजिनहंससूरि भ. श्री कुंथुनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. आ.ज.पा.प्र.ल.स. 178 4731595 नाकू तपा. विजयदानसूरि भ. श्री सुमतिनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 178 474 1530 माणिकदे श्री श्री ज्ञा. पूर्णिमा. देवेंद्रसूरि | भ. श्री सुमतिनाथ जी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 178 475 |1528 हशु, रंगाई ऊ.वाढ़ीक गोत्र खरतर. श्रीजिनचंद्रसूरि भ. श्री नमिनाथ जी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 179 476 1531 कर्मणि, माणिकि श्री श्री. ज्ञा नागेंद्र. श्रीहेमरत्नसूरि भ. श्री वासुपूज्य जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 180 477 1522 श्री श्रीवंष अंचल. श्रीजयकेसरीसूरि भ. श्री शीतलनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. | 180 | अहवदे, अरधु, भावलदे लाडिकि, गांगी जी १1०1523 वायड ज्ञा टागम. मुनिरत्नसूरि | भ. श्री शांतिनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 479 1513 कांऊ, पूरी वीरवंष टंचल, श्रीजयकेसरी भ. श्री संभवनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 180 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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