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________________ आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ 336 संवत् श्राविका नाम 787 |1496 | जइतलदे, देहलदे, माकू 139 788 1496 रत्नी 789 | 1497 | पाल्हणदे, लली वंश/गोत्र | अवदान संदर्भ ग्रंथ गच्छ / आचार्य |श्री श्री माल | तपागच्छ नायक श्री संभवनाथ चतुर्विषति | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. ज्ञातीय, संघवी | सोमसुंदर सूरि प्रागवाट ज्ञातीय उकेषगच्छ श्री शीतलनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. देवगुप्तसूरि प्रा. ज्ञा. तपागच्छ श्री सोमसुंदर संभवनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. (पतननिवासी) सूरि श्री माल पूर्णिमापक्ष के श्री पद्मप्रभनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. गोत्रीय धर्मप्रभसूरि रामसिणिग्राम | तपा. श्री सोमसुंदर सूरि | श्रेयांसनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. प्रागवाट ज्ञातीय उकेष ज्ञातीय | तपा. श्री मुनिसुंदर सूरि महावीर पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 39 7901497 | अहिवदे 40 791 | 1497 | राजदे, वाहली 40 792_1497 | दुलहादे, हर्षु 7931497| देवलदे धर्मनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 40 7941498 | सिंगारदे श्री श्री माल ब्रह्माणगच्छ श्री ज्ञातीय वृद्धिसागर सूरि श्री माल आगम गच्छ भट्टा श्री ज्ञातीय सूरि प्रागवाट् ज्ञातीय श्री सूरि । सुविधिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 40 795 1498 | देऊ, टबू कुंथुनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. A1 796 | 1499 | गाऊ, साजणि प्रागवाट् ज्ञातीय श्री जयकीर्ति सूरि धर्मनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 797 1499] दूंसी श्री चंद्रप्रभ स्वामी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. पूर्णिमापक्ष श्री गुणसमुद्रसूरि श्री सूरि 798 1499 | वानू विमलनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 41 799 1499 | वानू श्री श्री माल ज्ञातीय श्री रसल ज्ञातीय पतननिवासी श्री रसल ज्ञातीय पतननिवासी श्री श्री माल ज्ञातीय प्राग, ज्ञातीय श्री सूरि विमलनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 41 800 1500 | राणी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. अ.ल.स. 42 ब्रह्माणगच्छ धर्मनाथ श्रीमुनिसुंदरसूरि तपा श्री मुनिसुंदर सूरि | कुंथुनाथ 801 | 1500 | तेजू, हर्पू पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 42 802 | 1500 मनी, संपूरी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 42 ऊर्केष वंष खरतरगच्छ श्री सुमतिनाथ जिनसागरसूरि ऊकेष ज्ञातीय | तपा. श्री मुनिसुंदर सूरि | नमिनाथ 803 | 1500 मल्हाइ, लाखणदे पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 42 804 1500 हर्षाई ऊकेष वंष पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 805 1500 नामलदे पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 42 श्री श्रीमाल ज्ञातीय प्रागवाट् ज्ञा. खरतरगच्छ श्री पद्मप्रभ जिनसागरसूरि मधुकरगच्छ श्री धन | नमिनाथ प्रभसूरि | तपागच्छ श्री मुनिसुंदर | श्रेयांसनाथ सूरि श्री जयप्रभसूरि संभवनाथ 806 | 1500 भावलदे, गोमति पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 807 | 1500 टीबू, गोमति पा.जै.धा.प्र.ले.सं. श्री श्री माल ज्ञातीय श्री श्री माल ज्ञातीय 808 | 1500 | धरमणि, बर विमलनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 43 श्री आगमगच्छ श्री हेमरत्नसरि 809 1193 | राजश्री महावीर प्रा. ले. सं. भा. 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only WWwlanellonary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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