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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास क्र. संवत् | श्राविका नाम | वंश/गोत्र । अवदान प्रेरक/प्रतिष्ठापक आचार्य/गच्छ संदर्भ ग्रंथ २०६ लेखन सं. १३०० विपुलमति ज्ञाताधर्मकथासूत्र वही. ३६१ २०७| ले.सं. १३०७रत्नी, माद, प्रियमंति ज्ञाताधर्मकथांग सूत्रवत्ति | २०८ ले. सं. १३०७ दियादेवी, पूनी, वलालदेवी, देल्हणादेवी जे. जै. ता. ग्रं. भं. सू लों. ज्ञान, भं. ता. प. २०६/ शालि. शक. सुब्बांबिका पठनार्थ वरधि सेट्टि की धर्म पत्नि क. प्रा. ता. ग्रं. सू. १७ १३३१ पद्मपुराण मल्लिकब्जा देवी राजा शांतिसेन की पत्नि क. प्रा. ता. ग्रं. सू. २५७ | सिद्धांत मुनि माघनंदी को शास्त्रदान दिया था चंद्रमतिअम्म प्रा. ज्ञा. वही. ६६ पठनार्थ "श्रावक चारित्र" लिखवाया अमीदे श्री सूरि बी. जै. ले. सं. २ पार्श्वनाथ तिहुणपालही श्री जिनेश्वरसूरि जिनप्रतिमा लखमसिरि नाणकीय श्री धनेश्वरसूरि शांतिनाथ जासल परमानंदसूरि अभयसिरि पदत्ती महेश्वरसूरि श्री पार्श्वनाथ स७] १३६३ | साजणदेवी माल्हणदेवी जिनदत्तसूरि रूप स|१४वीं सदी :१६६३ जिनसिंहसूरि श्री शांतिनाथ | २१६ | १३७८ गउरि, वी, तील्ही ने पित मात क्षेयार्थ श्री पार्श्वनाथ जै. गु. क. भा. १. कच्छूली रास |२२०/ १३५२ श्री. प्र. सं. : आभूमति, ऊदी, उदयसिरि जयश्री. चांकु आदि अभयदेवसूरि को पठनार्थ समर्पित कल्पपुस्तिका | २२१/ आल्हणदेवी, विशलदेवी श्रार देवी आदि ने लिखवाय श्री प्र. सं. | श्री सिद्धसूरी के सान्निध्य में उत्तराध्ययन सूत्र लघुवत्ति को ससूत्र करवाया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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