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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास 189 १६४. युवाचार्य मधुकर मुनि, निरयावलिका सूत्र प. २६-३८ १६५. युवाचार्य मधुकर मुनि, ज्ञातासूत्र, अध्याय १४. प. ३५६-३८० १६६. वही प. ३७१ १६७. युवाचार्य मधुकर मुनि, भगवती सूत्र खण्ड ३ श. १२ उद्देशक १ प. १११-१२५ १६८. युवाचार्य मधुकर मुनि, भगवती सूत्र प. १०४-१३१ १६६. युवाचार्य मधुकर मुनि, ज्ञाता सूत्र अध्याय ७ प. १६४-२०८ १७०. सं. नेमीचंद बांठिया, विपाक सूत्र अध्याय ३ प. ७३ १७१. वही अ. २ प.४१ १७२. सं. नेमीचंद जी बांठिया, विपाक सूत्र अध्याय २ प. ४२. ४६ १७३. सं. नेमीचंद जी बांठिया, विपाक सूत्र अध्याय ६ प. १८२-१६२ १७४. सं. नेमीचंद जी बांठिया, विपाक सूत्र अध्याय २ प. ५२-५४ १७५. सं. नेमीचंद जी बांठिया, विपाक सूत्र अध्याय १ प. ११. १८ १७६. सं. नेमीचंद जी बांठिया, विपाक सूत्र अध्याय १ प. २५ १७७. सं. नेमीचन्द जी बांठिया, विपाक सूत्र, अध्याय ७ प. १३८-१४५ १७८. सं. नेमीचन्द जी बांठिया, विपाक सूत्र, अध्याय ८ प. १५८-१६३ १७६. सं. नेमीचंद जी बांठिया, विपाक सूत्र अध्याय ६ प. १३३-१३६ १८०. सं. नेमीचंद जी बांठिया, विपाक सूत्र अध्याय ५ प. ११५-११७ १८१. सं. नेमीचंद जी बांठिया, विपाक सूत्र अध्याय १० प. १६५-२०० धर्म संघ में श्रमण-श्रमणी को आहार-पानी, वस्त्र-पात्र औषधी से लाभान्वित करने वाली श्राविका ही है। दान के अतिरिक्त वैयक्तिक तप साधना तथा धर्म प्रभावना में वह अग्रणी है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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