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________________ 154 पौराणिक/प्रागैतिहासिक काल की जैन श्राविकाएँ ३६६. वही भाग २३, पृ. १६७.२०८ ४००. वही भाग २४, पृ. ८२.११८ ४०१. वही भाग ६५, प. ४०.४६ ४०२. वही भाग ६५, पृ. ४०.४६ ४०३. वही भाग ६५, ८, १६ ४०४. वही भाग ६५, पृ. २८.३६ ४०५. वही भाग २६ ४०६. वही भाग २६ ४०७. वही भाग ६५ प. १.१८ ४०८. वही भाग ६५ पृ. १६.२७ मध्यकालीन मुगल साम्राज्य काल में चम्पा श्राविका का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। सम्राट अकबर स्वयं उस अद्भुत नारी के छह माह की तपश्चर्या पर साश्चर्य मंत्र मुग्ध हुए। यह तप कैसे संभव हुआ ? अकबर द्वारा पूछने पर चम्पा श्राविका ने सविनम्र उत्तर दिया- देव, गुरू, धर्म की पुण्यमयी सद्कृपा मुझ पर बरस रही है। मेरे गुरूदेव आचार्य हीरविजयसूरि मेरे इस तप के प्रेरक है। सम्राट अकबर को जैन धर्म से प्रभावित करने में निमित्त बनी थी चम्पा श्राविका। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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