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त्रिविध साधना - मार्ग
सन्दर्भ ग्रन्थ तत्वार्थसूत्र 1 / 1
1.
2.
3.
-
उत्तराध्ययन 28/2
(अ)
(ब)
अत्थि सद्धा ततो विरियं पञ्ञा च मम विज्जति । - सुत्तनिपात 28 / 8 सव्वदा सील सम्पन्नो ( इति भगवा) पञ्ञवा सुसमाहितो । अज्झतचिन्ती सतिमा ओघं तरति दुत्तरं ॥ - सुत्तनिपात 9/22
गीता 4/34, 4/39
साइकोलाजी एन्ड मारल्स, पृ. 180
4.
5.
6.
उत्तराध्ययन, 28/30
7.
उत्तराध्ययन 28/30
8.
तत्त्वार्थसूत्र, 1/1
9.
दर्शनपाहुड, 2
10. उत्तराध्ययन, 28/2
11. नवतत्त्वप्रकरण, 1 उद्धृत - आत्मसाधना संग्रह, पृ. 151
उत्तराध्ययन, 28/35
12.
13. वही, 23/25 14. सुत्तनिपात 10/2
15. वही, 10 / 4
16. वही, 10/6
17. संयुत्तनिकाय, 1/1/59
18. वही, 4/41/8 19. अंगुत्तरनिकाय, 3 / 65
20. गीता, 4/39
21. गीता, 10/10
22. वही, 10/21
23. विसुद्धिमग्ग, 4/47
24. उत्तराध्ययन, 28/35 25. उत्तराध्ययन, 28/29 26. भक्तपरिज्ञा, 65-66 27. आचारांगनिर्युक्ति, 221 28. संयुत्तनिकाय 1/1/33 29. गीता, 17 / 28
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