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जैन-आचार के सामान्य नियम
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163. योगशास्त्र, 2/11 164. वही, 4/100 165. धम्मपद, 179 166. महाभारत, शांतिपर्व, 167/7 167. वही, 167/9 168. धम्मपद, 169 169. उत्तराध्ययन, 3/1 170. सूत्रकृतांग, 2/1/1 171. धम्मपद, 182 172. तत्त्वार्थसूत्र, 7/6 173. योगशतक, 79 174. सामायिक पाठ, 1 175. योगशास्त्र, 4/117 176. अभिधान राजेन्द्र, खण्ड 4, पृ. 2672 177. योगशास्त्र, 4/118 178. प्रतिक्रमण सूत्र-क्षमापणा पाठ-तुलनीय-खुद्दक पाठ, मैतसुत्त, 1 179. अभिधान राजेन्द्र, खण्ड 4, पृ. 2672 180. योगशास्त्र, 4/119 181. अभिधान राजेन्द्र, खण्ड 4, पृ. 2672 182. योगशास्त्र, 1/120 183. अभिधानराजेन्द्र, खण्ड 4, पृ. 2672 184. योगशास्त्र, 4/121 185. संयुत्तनिकाय, 39/7 तथा 40/8 186. पातंजल योगसूत्र, 1/33 187. उत्तराध्ययन, 5/2 188. वही, 5/3 189. वही, 5/32 190. रत्नकरण्डकश्रावकाचार, अध्याय 5 191. सकाम का अर्थ स्वेच्छापूर्वक है, न कि कामवासनायुक्त
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