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श्रमण-धर्म
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153. वही, 2/59, 64 154. देखिए - उत्तराध्ययन, अध्ययन 2, समवायांग, 22/1 155. अंगुत्तरनिकाय, 3/49 156. सुत्तनिपात, 54/10-12 157. संयुत्तनिकाय, 1/6/12 158. सुत्तनिपात, 54/6 159. वही, 54/6, 15 160. मनुस्मृति, 6/23, 34, देखिए धर्मशास्त्र का इतिहास, भाग 1, पृ. 485 161. मनुस्मृति, 6/43, 46, देखिए धर्मशास्त्र का इतिहास, भाग 1, पृ. 494 162. (अ) भगवतीआराधना, 423
(ब) मूलाचार-समयसाराधिकार 118
(स) पंचाशक 17/6-40 163. देखिए- उत्तराध्ययन, अध्ययन 23, सूत्रकृतांग 2/16 164. विनयपिटक - महावग्ग 1/2/6 165. विनयपिटक-चूलवग्ग 10/1/2 166. बुद्धिज्म, पृ. 77-78 167. धर्मशास्त्र का इतिहास, भाग 1, पृ. 494 168. धर्मशास्त्र का इतिहास, भाग 1, पृ. 237-241 169. धर्मशास्त्र का इतिहास, भाग 1, पृ. 491 170. समवायांगटीका, 21/2 171, समवायांग, 21/1 172. दशवैकालिक, 3/1-9 173. उत्तराध्ययन, 26/2-7 174. विस्तृत विवेचन के लिए देखिए-उत्तराध्ययन, 26/8-53 175. उत्तराध्ययन, 26/33 176. वही, 26/35 177. देखिए पिण्डनियुक्ति - उद्धृत श्रमणसूत्र, पृ. 478-481 178. विनयपिटक - पातिमोक्ख, पाचित्तिय धम्म, 56 179. जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, भाग 4, पृ. 292-296
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