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मन का स्वरूप तथा नैतिक-जीवन में उसका स्थान
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7. समप्रॉब्लेम्स आफजैन साइकोलाजी, पृ. 29. 8. (अ) मैत्राण्युपनिषद्, 4/11. (ब) ब्रह्मबिन्दूपनिषद्, 2.
सागर-समय का माप-विशेष. उत्तराध्ययनसूत्र, 29/56.
योगशास्त्र, 438. 12. धम्मपद,1.
वही, 2. 14. वही, 42.
वही, 43. 16. वही,37. 17. लंकावतारसूत्र, 145.
मैत्राण्युपनिषद्, 4/11, तेजोबिन्दूपनिषद्, 5/95. गीता, 3/40.
वही, 3/27. 21. विवेकचूडामणि, 175-176. 22. गीता,3/40.
दर्शन और चिन्तन, भाग 1, पृ. 140 तथा भाग 2, पृ. 311. 24. सूत्रकृतांग, 2/4.
योगसूत्र, 1/2. उत्तराध्ययन, 23/58. वही, 24/21.
योगशास्त्र, 4/36-39. 29. धम्मपद, 33-35. 30. गीता, 6/34. 31. वही, 635. 32. वही, 6/14.
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