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________________ लालपनता 529 / 12. कामाशा 529 / 13. भोगाशा 529/ 14. जीविताशा 529 / 15. मरणाशा 529 / 16. नन्दिराग 529/ 13. लोभ के चार भेद -40 1. अनन्तानुबन्धी लोभ 529/ 2. अप्रत्याख्यानी लोभ 529/ 3. प्रत्याख्यानी लोभ 529/4. संज्वलन लोभ 529/ 14. नोकषाय 1. हास्य 530 / 2. शोक 530 / 3. रति 530 / 4. अरति 530 / 5. घृणा 530 / 6. भय 530 / 7. स्त्रीवेद 531 / 8. पुरुषवेद 531/ 9. नपुंसकवेद 531/ 15. कषायजय नैतिक प्रगति का आधार 16. पहले प्रकार की वृत्तियों के परिणाम 17. दूसरे प्रकार की वृत्तियों के परिणाम 18. कषाय-जय कैसे ? 19. बौद्धदर्शन और कषाय 20. गीता और कषाय-निरोध 21. आवेग, नैतिकता एवं व्यक्तित्व 22. लेश्या - सिद्धान्त और नैतिक व्यक्तित्व 1. द्रव्य - लेश्या 538 / 2. भाव- लेश्या 538/ 23. लेश्याएँ एवं नैतिक व्यक्तित्व का श्रेणी - विभाजन कृष्ण - लेश्या (अशुभतम - मनोभाव) से युक्त व्यक्तित्व के लक्षण 540/ नील- लेश्या (अशुभतर- मनोभाव) से युक्त व्यक्तित्व के लक्षण 540/ कापोत- लेश्या ( अशुभ - मनोवृत्ति) से युक्त व्यक्तित्व के लक्षण 541 / तेजो - लेश्या ( शुभ- मनोवृत्ति) से युक्त व्यक्तित्व के लक्षण 541 / पद्म - लेश्या (शुभतर- मनोवृत्ति) से युक्त व्यक्तित्व के लक्षण 541 / शुक्ल - लेश्या (परमशुभमनोवृत्ति) से युक्त व्यक्तित्व के लक्षण 541 / 24. लेश्या - सिद्धान्त और बौद्ध - विचारणा 25. लेश्या - सिद्धान्त और गीता 26. लेश्या - सिद्धान्त एवं पाश्चात्य नीतिवेत्ता रास का नैतिक व्यक्तित्व का वर्गीकरण Jain Education International For Private & Personal Use Only 529 529 531 533 533 534 535 535 537 538 539 542 543 546 www.jainelibrary.org
SR No.003607
Book TitleBharatiya Achar Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages554
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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