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भारतीय आचार-दर्शन : एक तुलनात्मक अध्ययन
13.
सन्दर्भग्रंथ1. नीतिशास्त्र कासर्वेक्षण, पृ. 69. 2. भगवद्गीता (रा.), पृ. 50. 3. नीतिप्रवेशिका, पृ. 71.
क्षमतासे हमारा तात्पर्य योग्यता (ability) से न होकर क्षमता (capability) से है। नीतिप्रवेशिका, पृ.71. उपासकदशांग, 6/166. दीघनिकाय, सामण्णफलसुत्त. अथर्ववेद, 19/6/53-54. महाभारत, शान्तिपर्व, 227/83-84.
गीता, 11/32. 11. गोम्मटसार (कर्मकाण्ड), 879. 12. महाभारत,शान्तिपर्व, 229 /73-74.
तत्त्वार्थसूत्र, 5/22.
(अ) चार्वाक दर्शन की शास्त्रीय समीक्षा, पृ. 143. (ब) गोम्मटसार (कर्मकाण्ड), गा. 883. 15. महाभारत, शान्तिपर्व, 222/22. 16. वही, 222/15. 17. गीता, 5/14. 18. महाभारत, शान्तिपर्व, 222 /22. 19. महाभारत, शान्तिपर्व, 222/25. 20. सर्वार्थ सिद्धि, 8/3, तत्त्वार्थसूत्र (राजवार्तिक), 8/3. 21. अंगुत्तरनिकाय, 3/61, 3/99. 22. गीता (शांकरभाष्य), 18/15. 23. भारतीय नीतिशास्त्र का इतिहास, पृ. 649. 24. कठोपनिषद, 2/23. 25. भगवद्गीता (रा.), पृ. 64-65. 26. नीतिशास्त्र, पृ. 288-289. 27. महाभारत, शान्तिपर्व, 222/27. 28. वही, 226/12. 29. वही, 226 /20. 30. वही, 224/19. 31. स्पीनोजा और उसका दर्शन, पृ. 93.
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