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भारतीय और पाश्चात्य नैतिक मानदण्ड के सिद्धान्त
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90. देखिए- (अ) समकालीन दार्शनिक चिन्तन, पृ. 300-325.
. (ब) कन्टेम्पररि एथिकलथ्योरीज, पृ. 177-188. 91. (अ) माणुस्सं सुदुल्लहं/-महावीर
(ब) भवेषु मानुष्यभव: प्रधानम् /- अमितगति (स) किच्चे मणुस्स पटिलाभो/- धम्मपद, 182. (द) गुह्यं ब्रह्म वदिदं को ब्रवीमि
____ नमानुषात् श्रेष्ठतरं हि किंचित् /- महाभारत, शान्तिपर्व, 299 /20. 92. कण्टेम्परेरि एथिकल थ्योरीज, पृ. 177-180. 93. आचारांग, 11/3.
सूत्रकृतांग, 1/8/3. 95. धम्मपद, 2/1.
सौन्दरनन्द, 14/43-45. गीता, 2/63. देखिए (अ) कण्टेम्पररि एथिकलथ्योरीज, पृ. 181-184.
(ब) विजडम आफ कण्डक्ट-सी.बी. गर्नेट. 99. दशवैकालिक,4/8. 100. बबिट के दृष्टिकोण के लिएदेखिए-(अ) कण्टेम्पररि एथिकलथ्योरीज, पृ. 185-186.
(ब) दिब्रेकडाउन आफ इण्टरनेशनलिज्म
- प्रकाशित 'दिनेशन' खण्डस (8) जून 1915.
(स) आन बीइंग क्रिएटिव-बबिट 101. दशवैकालिकसूत्र, 1/1.. 102. उत्तराध्ययन, 31/2. 103. देखिए-समकालिकदार्शनिक,पृ. 221-246. 104. उत्तराध्ययन, 6/9-11; तुलना कीजिए-धम्मपद, 259. 105. उद्धृत-आत्मसाधनासंग्रह, पृ.441. 106. देखिए-आचारांग, 1/2/6/102; ओघनियुक्ति,754. 107. नैतिकताका गुरुत्वाकर्षण, पृ. 11. 108. विशेषावश्यकभाष्य, 3254. 109. देखिए- कण्टेम्पररि एथिकलथ्योरीज,अध्याय 17, पृ. 274-284. 110. मरणसमाधि, 603. 111. उत्तराध्ययन, 13/16. 112. प्राकृत सूक्तिसरोज, 11/11
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