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________________ स्थिरता (Steadeness of mind) प्रेक्षा और आत्म सजगता (self awarene) का अनुभव था। सूत्रकृताग के 8वें अध्याय में यह उल्लेख भी है कि आत्मोन्नति एवं मुक्ति (emancipation) के प्रमुख साघन हैं- ध्यान, योग और तितीक्षा। __ योग और ध्यान की पूर्णता व्यक्ति की अपने शरीर के प्रति रही हुई आसक्ति के त्याग से हो सकती है (8/26) जिसे जैन विचार धारा में कायोत्सर्ग कहा जाता हैं। इस आगमिक काल में पतंजलि की योग की अष्टसोपान वाली पद्धति में से प्राणायाम को छोडकर सप्त सोपानों का उल्लेख जैन आगमों में मिलता है। पतंजलि की यौगिक प्रक्रिया के निम्नाकित अष्ट सोपान है1. यम, (Vows) - व्रत 2. नियम, (upporty Vow) - सहायक व्रत 3. आसन, (bodily Postures)- शारीरिक मुद्रा स्थितियाँ 4. प्राणायाम, (Contratting of resfiration)– श्वास का नियंत्रण 5. प्रत्याहार, (Contratting of souse organs) ज्ञानेद्रियों का नियत्रण 6. धारणा, (Contratting of mentalactvition) मानसिक क्रियाओं का नियंत्रण 7. ध्यान, (Contratting of mind) मन की एकाग्रता 8. समाघि (Equaminilty of mind or ceas ation of mind) मन की समता या मन का निरोध इस काल के जैन साहित्य में हमें जैनयोग साधना के जो सात अंग तो मिलते है, किन्तु वे कुछ भिन्न नामों से है। स्थानकवासी जैन सम्प्रदाय के आचार्य आत्मारामजी ने "जैन आगमों में अष्टांग योग" नामक पुस्तक में पतंजलि की योग-पद्धति के इन आठों अंगों का जैन योग-साधना पद्धति के साथ तुलनात्मक विवरण भी दिया है। उनके अनुसार पतंजलि के पाँच यमों को जैनियों में पाँच महाव्रतों के नाम से मान्य किया गया हैं। पाँच महाव्रतो के नाम भी वही है और एक जैसे हैं, जैसे कि वे पतंजलि के योगसूत्र में है। जैन साधना में पाँच महाव्रत ये है- 1. अहिंसा 2. सत्य 3. अस्तेय 4. ब्रह्मचर्य और 5. अपरिग्रह। पतंजलि ने अपने योगसूत्र में इन्हे पाँच यमों के नाम से उल्लेखित किया है। किन्तु उसमें इन पाँच यमों को पाँच महाव्रतो के नाम से भी उल्लेखित किया गया है। 2. नियम - पंतंजलि की योग-साधना का द्वितीय सोपान नियम है। पतंजलि के 22 : समत्वयोग और अन्य योग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003605
Book TitleSamatva Yoga aur Anya Yoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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