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________________ २८ अगस्त - ब्रह्मचारी भरमप्पा क्षुल्लक दीक्षा के पश्चात् आचार्य श्री को नमोस्तु करते हुए । सी २८ अगस्त १९५५ जल ग्रहण किया। दोनों समय जनता को दर्शन दिए। विशेष बात यह हुई कि आचार्य श्री के संघ में सात वर्ष से साथ रहने वाले श्रं. भरमप्पा को क्षुल्लक दीक्षा दी गई । दीक्षा नाम सिद्ध सागर रखा गया। दीक्षा विधि आचार्य श्री के निर्देशानुसार १०५ क्षुल्लक श्री सुमतिसागर जी ने करवाई । अंत में आचार्य श्री ने शुभाशीर्वाद दिया । २९ अगस्त - विशाल जनसमूह आचार्य श्री के दर्शनार्थ प्रतिक्षारत् । Jain Education International 9929 Fe US Fees PËR THE PRE कि कि ि गाव For Private & Personal Use Only काशील २९ अगस्त १९५५ आज जल ग्रहण नहीं किया । पं. मक्खनलाल जी शास्त्री मोरेना से दर्शनार्थ पधारे। आज दिन दोपहर में आचार्य श्री गुफा से बाहर नहीं पधारे, । अत: जनता पुण्य लाभ नहीं कर सकी। महाराज को कमजोरी कुछ बढ गयी । www.jainelibrary.org
SR No.003601
Book TitleCharitra Chakravarti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year2006
Total Pages772
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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