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________________ सल्लेखना अपने सीमित साधनों के मध्य रहने वाले मानव को यह पता नहीं चलता कि आगे कैसी विचित्र अघटित तथा अकल्पित बातें प्रत्यक्षगोचर हो जाती हैं। विधि सुघटित घटनाओं को विघटित करता है और अघटित घटनाओं का निर्माण करता है। ऐसी भी घटनायें प्रत्यक्षगोचर होती हैं, जिनकी मनुष्य ने कभी कल्पना भी न की थी। अघटित-घटितं घटयति, सुघटित-घटितं च जर्जरी कुरुते। विधिदेव तानि घटयति, यानि नरो नैव चिन्तयति ॥ यम सल्लेखना स्व. आचार्य शांतिसागर महाराज के चरणों के समीप रहने से मन में ऐसा विश्वास जम गया था, कि आचार्य महाराज जब भी सल्लेखना स्वीकार करेंगे तब नियम सल्लेखना लेंगे, यम सल्लेखना नहीं लेंगे। ऐसा ही उनका मनोगत अनेक बार ज्ञात हुआ था। मुझे दृढ़ विश्वास था कि, उनकी सल्लेखना नियम सल्लेखना के रूप में प्रारम्भ होगी किन्तु भविष्य का रूप किसे विदित था ? जिसकी स्वप्न में भी कल्पना न थी, वह साक्षात् हो गया। श्रमणराज आचार्य शांतिसागर महाराज ने यम सल्लेखना ले ली। उसे लिये चार दिन हो गये। कुंथलगिरी से भी मुझे कोई समाचार नहीं मिला। २२ अगस्त १९५५ को १ बजे मध्याह्न में फलटण से इन्द्रराज गाँधी का तार मिला : - Acharya maharaj started yama sallekhana from four days, Starte first train kunthalgiri-('आचार्य महाराज ने चार दिन हुए यम सल्लेखना ले ली है। शीघ्र ट्रेन से कुंथलगिरि पहुँचिये।') ___ मैं अवाक हो गया। चित्त घबड़ा गया। अकल्पित बात हो गई। तत्काल ही मैंने गुरुदेव के दर्शनार्थ प्रस्थान किया। मैं २२ अगस्त को २ बजे दिन की मोटर से नागपुर ७.३० बजे रात को पहुँचा वहाँ से रेल से शेगाँव गया। पश्चात् मोटर से देवलगाँव, बागरुल, जालना होते हुए ता. २३ की रात को १० बजे कुन्थलगिरि पहुँचा । उस समय मूसलाधार वर्षा हो रही थी। एक घंटा स्थान पाने की परेशानी के उपरांत मुझ अकेले को स्थान मिल पाया। प्रथम दर्शन मैंने २४ अगस्त के प्रभात में पर्वत पर कुटी में आचार्य शांतिसागर महाराज के दर्शन किये और नमोस्तु निवेदन किया। महाराज बोले, "बहुत देर में आये। आ गए, यह बहुत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003601
Book TitleCharitra Chakravarti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year2006
Total Pages772
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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