SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 440
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ज्योतिषियों की दृष्टि में आचार्य श्री एक बार एक उच्चकोटि के ज्योतिषशास्त्र के विद्वान् को आचार्य महाराज की जन्मकुण्डली दिखाई थी। उसे देखकर उन्होंने कहा था-"जिस व्यक्ति की यह कुण्डली है, उनके पास तिलतुष मात्र भी संपत्ति नहीं होनी चाहिए, किन्तु उसकी सेवा करने वाले लखपति, करोड़पति होने चाहिए।" ____ उन्होंने यह भी कहा था कि-"इनकी शारीरिक शक्ति गजब की होनी चाहिए। बुद्धि बहुत तीव्र बताई थी और उन्हें महान् तत्त्वज्ञानी भी बताया था।" ____ महाराज के चरणों का आश्रय लेने से विपत्ति नहीं आती, यह साथ के लोगों ने भी देख लिया। उनको संकट मुक्त होने का हर्ष तो था ही, साथ ही महाराज के प्रति उनकी आंतरिक श्रद्धा और भी बलवती हो गयी। -प्रभावना, दैवज्ञ का कथन, पृष्ठ २०७ आचार्य श्री का संग अर्थात् मंगल ही मंगल - बारामती के गुरुभक्त शिरोमणि सेठ चंदूलाल सर्राफ से हमने पूछा था -“आप महाराज की सेवा में प्रायः रहते हैं। क्या विशेषता उनके बारे में देखने में आई ?" उन्होंने कहा था-"महाराज के साथ में कभी भी कष्ट नहीं हुआ। कभी कोई संकट नहीं आया। हम भयंकर से भयंकर जंगल में पड़े रहे, कभी भी चोरी नहीं हुई। कभी बीमारी की विपत्ति नहीं भोगने में आई।" वे कहने लगे-“कदाचित् संकट का समय आया और हम लोगों ने आचार्य महाराज का पुण्य स्मरण किया, तो उनका नाम लेते ही संकट दूर हुआ है।" -प्रभावना, महाराज का प्रभाव,पृष्ठ २०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003601
Book TitleCharitra Chakravarti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year2006
Total Pages772
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy