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प्रतिज्ञा
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वह तार आ गया इससे कहते हैं, वह छुपा दिया गया। दूसरे दिन पुनः जवाबी तार दिया जिसमें पहले तार का उल्लेख किया गया था । '
सौभाग्य से यह तार राजेन्द्र बाबू के हाथ में पहुँच गया । इसलिए सर्वप्रथम भेंट के लिए हमें अवसर प्राप्त हुआ। उस समय इस प्रांत के मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल तथा गृहमंत्री पं. द्वारकाप्रसाद मिश्र भी उपस्थित थे। हमने राष्ट्रपति के समक्ष आचार्य महाराज के अन्नत्याग से उत्पन्न परिस्थिति पर प्रकाश डालकर भारत सरकार के सहयोग की चर्चा की। उसे सुनते ही सचिन्त हो राजेन्द्र बाबू ने कहा आप आचार्य महाराज को हमारा प्रणाम कहिये, तथा अन्न ग्रहण करने का अनुरोध करिये। जैनधर्म पर कभी संकट नहीं आयगा । बंबई कानून के विषय में हम विचार करेंगे।'
जब हम श्री तलकचंद वकील के साथ मुंबई सरकार के गृहमंत्री श्री मोरारजी देसाई से मिले थे, तब उन्होंने कहा था कि - " आप आचार्य महाराज को हमारा प्रणाम कहिए तथा अन्नग्रहण करने की प्रार्थना कीजिए।” सरकारी दृष्टिकोण उन्होंने इस प्रकार स्पष्ट किया था - " जैनमन्दिरके विषय में हरिजनों को उतने ही अधिकार प्राप्त हैं, जितने जैनियों को प्राप्त हैं। यदि जैनी मूर्ति का स्पर्श करके पूजा करता है, तो ऐसा हरिजन भी कर सकेंगे।" उस समय समझ में आया कि बंबई कानून की ओट में जैनियों के अधिकारों को स्वाहा करने का भीषण जाल रचा गया है। इसीलिए आचार्य महाराज ने अपने दिव्यज्ञान से उस कुचक्र Satara उसके विरुद्ध अपने प्राण की बाजी लगा दी थी।
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श्री देसाई की चर्चा से बंबई शासन के अपवित्र अंतःकरण का स्पष्टीकरण हुआ । उस समय आचार्य महाराज का स्वास्थ्य बहुत क्षीण होता जा रहा था। इससे सभी जैन समाज की चिंता की सीमा नहीं थी । लोकमत को जगाने के लिए हमने सार्वजनिक पत्रों में चर्चा चलाई। जून, सन् १६४६ के ब्लिट्स नाम के अंग्रेजी पत्र में हमारा समाचार प्रगट हुआ था (अगले पृष्ठ के फुट नोट में ) ' ।
1.
Rashtrapati Rajendra Prasadji Care Govinddasji Jubbulpore Replypaid Telegram. Reference your letter from pilani our replypaid telegrams. Bombay temple entry act still includes Jains under Hindoos although Jainism is independent. His Holiness Acharya Shantisagerji's fast trangressed seventy days. Jain Samaj worried beyond expression. Request few minutes interview. Pray wire earliest time. All India Jains shall be obliged.
Sumerchand Diwaker. Secretary All India Jain Political Committee. Camp Jubbulpore 28-10-48
Next telegram sent to him reads thus: Reply paid. "Reference our yesterday's telegram. No reply received yet. Pray communicate earliest interview time. -Sumerchand Diwaker"
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