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चारित्र चक्रवर्ती धर्म पुण्यधारा
आचार्य महाराज के द्वारा अत्यधिक संयम, व्रत, नियम का प्रचार हुआ। लोग श्रावक के कर्तव्यपालन में कटिबद्ध हो गए। करनाल, आदि बहुत स्थानों में विद्वेषभाव दूर होकर वात्सल्य की मधुर धारा बहने लगी। इस प्रकार शिथिलाचार के स्वच्छंद प्रचार की भूमि में आचार्य महाराज ने धर्म की पुण्यधारा प्रवाहित करने को लोकोत्तर कार्य किया।
देहली प्रांत अत्यधिक ठंडा है। उष्ण काल में भी बड़ा भयंकर रहता है। दोनों ऋतुओं की भीषणता को साम्यभाव से सहन करते हुए इन मुनियों ने यह प्रमाणित कर दिया था कि हीन संहनन में भी सत्संकल्प, आत्मविश्वास और जिनेन्द्र-भक्ति के अवलंबन से ऐसी तपस्या हो सकती है, जो चतुर्थकालीन मुनियों की तपःसाधना का स्मरण करा देवे।
दिल्ली के विशाल, बहुमूल्य, कलापूर्ण अनेक जिनालय बड़े मनोज्ञ हैं। वे जैनियों की उज्ज्वल जिनभक्ति तथा समुन्नत स्थिति का परिचय कराते हैं।
धर्मपुरा के मंदिर में श्री जी के सिंहासन की कारीगरी अपूर्व है। ताजमहल की कला से भी सूक्ष्म और सुन्दर कला का उसमें दिग्दर्शन कराया गया है। नंदीश्वरद्वीप की रचना वाला मंदिर बड़ा भव्य मालूम पड़ता है। लालकिले के ऐतिहासिक तथा महत्वपूर्ण स्थान के सामने विद्यमान लालमंदिर जैन गौरव का द्योतक है। मुगल काल में भी वह मंदिर किले के सामने होते हुए भी कहते हैं कि शासन देवता के प्रभाववश अक्षुण्ण रहा आया है। वहाँ पद्मावती देवी की बड़ी महिमापूर्ण मूर्ति है। हजारों लोग दर्शनार्थ आया करते हैं। अनेक महत्वपूर्ण संस्थाएं भी दिल्ली में हैं। इस वैभव के साथ आचार्य संघ के आवास होने से देहली में सोने में सुगंध की कहावत चरितार्थ हुई थी। धर्म-ध्यान में सानंद समय बीतते न मालूम पड़ा और चातुर्मास पूर्ण हो गया। अरबी में एक कहावत है 'पानी एक स्थान पर रहने से बदबूदार हो जाता है। दूज का चंद्र यात्रा में रहने से पूर्ण चंद्र बन जाता है।' यदि साधुलोग विहार न करें, तो अन्य स्थान के जीवों का किस प्रकार हित होगा? देहली से विहार
अतः वीतराग तथा निस्पृह साधुओं ने देहली का ममत्व न करके वहाँ से प्रस्थान कर दिया और अगहन सुदी तृतीया को गुड़गांव पहुंच कर जनता को कृतार्थ किया। यहाँ महाराज का केशलोंच हुआ था। लगभग दो हजार प्रतिष्ठित नागरिकों ने जैन मुनि की तपश्चर्या देखकर धर्म की महत्ता को समझा। इस ओर कभी ऐसे महापुरुषों का पदार्पण नहीं हुआ था। अतः महाराज के विहार से इस तरफ अद्भुत जागृति हुई। अंधेरी दुनिया में आध्यात्मिक ज्योति जगी।
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