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सूत्रकृतांग सूत्र
ततो जावज्जीवाए अप्पडिविरया) जो अनार्य पुरुषों द्वारा किये जाते हैं, उन कर्मों से वे जीवनभर निवृत्त नहीं होते, इन सब पुरुषों को एकान्त अधर्मस्थान में स्थित जानना चाहिए।
(से जहाणामए अयंते कूरे केइ पुरिसे) जैसे कोई अत्यन्त क्रूर पुरुष (कलम मसूरतिलमुग्गमासनिप्फावकुलत्थआलिसंदगपलिमंथगमादिहि मिच्छादंडं पउंजंति) चावल, मसूर, तिल, मूग, उदड़, निष्पाव (एक प्रकार का अन्न), कुलत्थी, चंवला, परिमथक (धान्य विशेष) आदि को अपराध के बिना व्यर्थ ही दण्ड देते हैं, (एवमेव तहप्पगारे पुरिसजाए अयंते कूरे तित्तिरवट्टगलावगकवोतविजलमियमहिसवराहगाहगोहकुम्मसिरिसिवमादिएहि मिच्छादंडं पउंजंति) इसी तरह तथाकथित अत्यन्त क्रूर पुरुष तीतर, बटेर, लावक, कबूतर, कपिजल, मृग, भैंसा, सूअर, घड़ियाल, मगरमच्छ, गोह और जमीन पर सरककर चलने वाले जानवरों को अपराध के बिना व्यर्थ ही दण्ड देते हैं।
(जा वि य से बाहिरिया परिसा भवइ, तं जहा-दासे इ वा, पेसे इ वा, भयए इ वा, ‘भाइल्ले इ वा, कम्मकरए इ वा भोगपुरिसे इ वा) उन क्रूर पुरुषों की जो बाह्य परिषद् होती है, वह इस प्रकार है-दासीपुत्र (दास), संदेशवाहक (प्रेष्य) या दूत, वेतन लेकर सेवा करने वाला नौकर, छठा भाग लेकर बटाई पर खेती करने वाला, दूसरे काम-काज करने वाला, तथा भोग की सामग्री देने वाला इत्यादि पुरुष होते हैं। (तेसि पि य णं अन्नयरंसि वा अहालहुगंसि अवराहसि सयमेव गरुयं दंडं निवत्त इ) इन लोगों में किसी भी व्यक्ति का जब कभी जरा-सा भी अपराध हो जाता है तो वे क्रूर पुरुष स्वयं उन्हें भारी दण्ड देते हैं । (तं जहा-- इमं दडेह, इमं मुडेह, इमं तज्जेह, इमं तालेह, इमं अदुयबंधणं करेह, इमं नियलबंधणं करेह, इमं हड्डिबंधणं करेह, इमं चारगबंधणं करेह, इमं नियलजुयलसंकोचियमोडियं करेह) जैसे कि वे कहते हैं--इस पुरुष को दण्ड दो या डंडे से पीटो, इसका सिर मूड़ दो, इसे डाँटो-फटकारो, इसे लाठी आदि से पीटो, इसकी भुजाएँ पीछे को बाँध दो, इसके हाथ-पैरों में हथकड़ी और बेड़ी डाल दो, इसे हाडीबंधन में दे दो, इसे जेल में बन्द कर दो, इसे हथकड़ी-बेड़ियों से बाँधकर इसके अंगों को सिकोड़कर मरोड़ दो, (इमं हत्थछिन्नयं करेह) इसके हाथ काट डालो, (इमं पायछिन्नयं करेह) इसके पैरों को काट दो, (इमं कण्णछिन्नयं करेह) इसके कान काट लो, (इमं नक्कओट्ठसीसमुहछिन्नयं करेह) इसके नाक, ओठ, सिर और मुह काट दो, (वेयगछहियं, अंगछहियं पक्खाफोडियं करेह) इसे मार-मार कर बेहोश कर दो, इसके अंग-अंग जर्जर (ढीले) कर दो, चाबुक के मारकर इसकी खाल खींच लो, (इमं णयणप्पाडियं करेह) इसकी आँखें निकाल लो, (इमं दंसणुप्पाडियं वसणुप्पाडियं
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