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आपका जीवन सिद्धयोगी जैसा बन गया । आपके विषय में प्रसिद्ध था कि बाबाजी महाराज की वाणी अमोघ वाणी थी । आपकी वैराग्य भाव से ओत-प्रोत वाणी श्रोता के मन को वैराग्य सरोवर में निमग्न कर देती । आपश्री की वाणी से प्रभावित होकर अनेक व्यक्तियों ने साधना - पथ पर चरण बढ़ाये और जीवन सफल किया । जिस पर भी आपकी कृपादृष्टि हो जाती वह निहाल हो जाता ।
मेरे गुरुदेव श्री भंडारी पदमचन्दजी महाराज पर पूज्यश्री बाबाजी महाराज की विशेष कृपादृष्टि रही । पूज्य गुरुदेव ने भी तन-मन समर्पित करके पूज्य बाबाजी की सेवा बजाई, जो चिरस्मरणीय है । इस सेवानिष्ठा की प्रशंसा आचार्य सम्राट स्व० श्री आत्मारामजी म० ने भी अपने श्रीमुख से की थी ।
बाबाजी महाराज का स्वर्गवास वि० सं० १६६५ बुधवार को लुधियाना में हुआ । उस समय आपकी सेवा में पूज्यपाद आचार्य सम्राट आत्मारामजी महाराज, पं० श्री हेमचन्द्रजी म०, स्वामी प्रेमचन्द्रजी म०, भंडारी श्री पदमचन्दजी म० आदि मुनिराज थे ।
स्व० बाबाजी महाराज के प्रमुख शिष्य थे महान् सेवाभावी चारित्रनिष्ठ स्वामी शालिग्राम जी महाराज | जैनधर्म दिवाकर आचार्य सम्राट श्री आत्मारामजी महाराज आपके ही शिष्यरत्न थे । श्रद्धय बाबाजी महाराज के दूसरे शिष्य थे स्वामी गोविन्दरामजी महाराज | आप जैन समाज में 'सेठजी' के नाम से प्रख्यात थे । इस प्रकार श्रद्धय बाबाजी श्री जयरामदासजी महाराज जैसे प्रतापी और त्याग सेवा - संयम की साकार मूर्ति का संक्षिप्त परिचय पाठकों की सेवा में प्रस्तुत है । उस महान दिव्यात्मा के चरणों में कोटि कोटि वन्दना !
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- अमर मुनि
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