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________________ उपसर्गपरिज्ञा : तृतीय अध्ययन-चतुर्थ उद्देशक ४६५ लड़खड़ा जाते हैं। वे चाहे संग्राम में बहुत ही बहादुरी दिखा सकते हों, परन्तु स्त्री के कटाक्ष के आगे पराजित हो जाते हैं। कामिनियाँ हावभाव, कटाक्ष, भ्र भंग, अंगन्यास आदि के द्वारा कच्चे साधक के मन को विचलित कर देती हैं। नीतिकार कहते हैं--- सामार्ग तावदास्ते प्रभवति पुरुषस्तावदेवेन्द्रियाणाम् । लज्जां तावद् विधत्ते, विनयमपि समालम्बते तावदेव ।। भ्र चापाक्षेपमुक्ताः श्रवणपथजुषो नीलपक्ष्माण एते । यावल्लीलावतीनां न हृदि धृतिमुषो दृष्टिबाणाः पतन्ति ।। अर्थात् -पुरुष सन्मार्ग पर तभी तक टिकता है, और इन्द्रियों पर भी तभी तक अपना प्रभुत्व रखता है, तथा लज्जा भी तभी तक करता है, एवं विनय भी तभी तक रखता है, जब तक लीलावती स्त्रियों के द्वारा भ्र कुटिरूपी धनुष को कान तक खींचकर चलाये हुए नीलपक्ष वाले दृष्टिबाण उस पर नहीं गिरे हैं। ___ इसीलिए शास्त्रकार इस बात को एक दृष्टान्त देकर समझाते हैं, जैसे इस लोक में वैतरणी नदी को पार करना अत्यन्त कठिन माना जाता है, वैसे ही जो अविवेकी (असावधान या गाफिल) साधक है, उसके लिए नारी (नारी-मोहरूप) के उपसर्ग नद का पार करना अत्यन्त दुष्कर है, अत्यन्त दुस्तर है। मूल पाठ जेहिं नारीण संजोगा, पूयणा पिट्ठतो कता । सव्वमेयं निराकिच्चा, ते ठिया सुसमाहिए ॥१७।। संस्कृत छाया यैर्नारीणां संयोगा: पूजना पृष्ठतः कृता । सर्वमेतन्निराकृत्य ते स्थिताः सुसमाधिना ॥१७।। अन्वयार्थ (जेहिं) जिन पुरुषों ने (नारीणं संजोगा) स्त्रियों का संसर्ग (पूयणा) कामशृंगार की ओर (पिट्ठतो कता) पीठ फेर ली है, मुख मोड़ लिया है, (ते) वे साधक (एयं सव्वं निराकिच्चा) समस्त उपसर्गों का निराकरण--- उन्हें पराजित करके (सुसमाहिए ठिया) प्रसन्नचित्त होकर रहते हैं। भावार्थ जिन साधकों ने स्त्री-संसर्ग और कामशृङ्गार से मुख मोड़ लिया है, वे समस्त उपसर्गों को जीतकर उत्तम समाधि में लीन रहते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003599
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHemchandraji Maharaj, Amarmuni, Nemichandramuni
PublisherAtmagyan Pith
Publication Year1979
Total Pages1042
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sutrakritang
File Size17 MB
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