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समय : प्रथम अध्ययन-तृतीय उद्देशक
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मानने में कोई दोष नहीं है । अथवा गहराई से सोचें तो नियति भी स्वभाव से अतिरिक्त नहीं, क्योंकि जो पदार्थ जैसा है, उसका वैसा होना, नियति है ।
स्वयम्भूरचित लोक : असत्य मान्यता- पहले जो यह कहा गया था. 'यह लोक स्वयम्भू द्वारा रचित है, यह कथन भी युक्तिसंगत नहीं है । यह है कि 'स्वयम्भू' शब्द का अर्थ क्या है ? जिस समय वह स्वयम्भू होता है, उन समय वह दूसरे किसी कारण की अपेक्षा किये बिना क्या स्वतन्त्र रूप से होता है, इसलिए वह स्वयम्भू कहलाता है अथवा वह अनादि है, इसलिए स्वयम्भू कहलाता है ? यदि वह अपने आप होने के कारण स्वयम्भू कहलाता है, तो इसी तरह इस लोक को भी अपने आप होना क्यों नहीं मान लेते ? उत स्वयम्भू की क्या आवश्यकता है ? यदि वह स्वयम्भू अनादि होने के कारण स्वयम्भू कहलाता है, तो वह जगत् का कर्ता नहीं हो सकता, क्योंकि जो अनादि होता है, वह नित्ल होता है और नित्य पदार्थ सदा एकरूप होता है । इसलिये वह नित्य स्वयम्भू जगत् का की नहीं हो
सकता ।
यदि स्वयम्भू वीतराग है, तो वह इस विचित्र जगत् का कर्ता नहीं हो सकता और यदि वह सराग है तो हम लोगों के समान होने से यह विश्व का कर्ता नहीं हो सकता । फिर वह स्वयम्भू यदि अमूर्त है तो वह मूर्त जगत् का कर्ता नहीं हो सकता, यदि वह मूर्त है तो उसके उत्पत्तिकर्ताओं की परम्परा माननी पड़ेगी, अतः अनवस्था दोष आ पड़ेगा ।
मार द्वारा जगत्कर्तृत्व का खण्डन – यह नेमार (यमराज) को उत्पन्न किया, जो माया के यह भी उन्मत्त प्रलाप के समान असंगत कथन हैं। जब स्ववम्मू ही जगत् का कर्ता सिद्ध नहीं हो सका तो यमराज और माया तो उसकी सन्तानें हैं, उनका अस्तित्व ही कहाँ से हो जायेगा ?
जो कहा गया था कि 'स्वयम्भू द्वारा लोक का संहार करता है, '
अण्डे से जगत् की उत्पति भी असत्य प्रलाप - जो यह मानते हैं कि 'अण्डे से जगत् की उत्पत्ति हुई है,' वह भी असंगत है । जब जगत् पंचमहाभूतों से बिलकुल रहित था, उसमें कोई भी चीज नहीं थी, तब अण्डा कहाँ से आया ? और पानी भी कहाँ से आया ? फिर जिस जल में उस स्वयम्भू ने अण्डा उत्पन्न किया वह जल जैसे अण्डे के बिना ही उत्पन्न हो गया था, उसी तरह यह लोक भी अण्डे के विना उत्पन्न हुआ मान लें तो क्या हर्ज है ? यदि यह कहें कि अण्डा और पानी पहले से ही थे और उनके सिवाय वहाँ और कोई चीज नहीं थी, तो भूमि और आकाश ये दो महाभूत कहाँ से टपक पड़े ? और आपके मतानुसार बाद में पंचमहाभूतों के अभाव में देव, दानव, मानव और पशु-पक्षी आदि कहाँ से पैदा हो गए ?
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