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सूत्रकृतांग सूत्र
उत्पन्न करता है ? स्वयं नष्ट होकर तो उत्तर-पदार्थ को उत्पन्न नहीं कर सकता, क्योंकि जो स्वयं नष्ट हो गया है, वह दूसरे को किस तरह उत्पन्न कर सकता है ? यदि कहो कि स्वयं नष्ट न होकर पहला पदार्थ उत्तर- पदार्थ को उत्पन्न करता है, तो यह भी ठीक नहीं है, क्योंकि उत्तर - पदार्थ के काल में पूर्व पदार्थ का व्यापार विद्यमान होने से तुम्हारा क्षणभंगवादरूप सिद्धान्त ही नहीं रह सकता है ।
यदि कहें कि तराजू का एक पलड़ा, स्वयं नीचा होता हुआ, दूसरे पलड़े को ऊपर उठाता है, उसी तरह पहला पदार्थ स्वयं नष्ट होता हुआ उत्तर-पदार्थ को उत्पन्न करता है तो यह बात भी युक्तिहीन है । क्योंकि ऐसा मानने पर आप स्वयं दोनों पदार्थों को एक काल में स्थित रहना स्वीकार करते हैं, जो क्षणभंगवाद सिद्धान्त के प्रतिकूल है । ऐसी दशा में उत्पत्ति और विनाश एक साथ मानने पर उनके धर्मीरूप पूर्व और उत्तर- पदार्थ की भी एक काल में स्थिति सिद्ध होगी । अगर उत्पत्ति और विनाश को पदार्थों का धर्म न मानो तो उत्पत्ति और विनाश कोई वस्तु ही सिद्ध न होंगे ।
पदार्थों की उत्पत्ति ही उनके नाश का कारण है- यह कथन भी दोष- दुष्ट है । यदि पदार्थों की उत्पत्ति ही उनके नाश का कारण है तो किसी भी पदार्थ की उत्पत्ति ही न होनी चाहिए, क्योंकि उनके विनाश का कारण (उत्पत्ति) उनके निकट विद्यमान है ।
आपने पदार्थ को क्षणिक मान कर उस पदार्थ का सर्वथा अभाव माना है, वह भी ठीक नहीं है । अभाव शब्द का यहाँ प्रसज्यात्मक नञ् समास मान कर अर्थ करने पर अघट कहने से मुद्गर आदि के प्रहार से घट आदि का विनाश मानना पड़ेगा । उसी तरह आत्मा का भी अभाव सिद्ध हो जाएगा । इसलिए अभाव का यहाँ पर्युदास नञ् समास की दृष्टि से अर्थ करने पर अघट कहने से घट से भिन्न कपाल (ठीकरा ) रूप पदार्थ को मुद्गर उत्पन्न करता है और घट परिणामी अनित्य है, इसलिए वह कपाल रूप में परिणत होता है ।
क्षणिकवाद की विस्तृत चर्चा पूर्व गाथा में की गई है, इसलिए हम पुनः पिष्टपेषण न करके संक्षेप में बताना चाहते हैं कि आत्मा को कूटस्थनित्य मानने पर ये सब दोष आते हैं । क्षणिक होने से अभावरूप आत्मा मानी जाएगी तो सारी
१. जैसे कि व्याकरण - शास्त्र में बताया है
प्रसज्यकौ ।
नञर्थोद्धौ समाख्यातौ पर्युदास पर्युदासः सहग्राही,
प्रसज्यस्तु निषेधकृत् ॥
नव् समास के दो अर्थ कहे गए हैं – पर्युदास और प्रसज्य । पर्युदास सदृश ( तद्भिन्न तत्सदृश ) का ग्राही है, और प्रसज्य निषेध का ग्राहक है ।
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