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परिशिष्ट-६
आधारभूत ग्रंथ-सूची
ग्रंथ का नाम लेखक/संपादक/अनुवादक | संस्करण प्रकाशक
भाष्य में प्रयुक्त स्थल वाचनाप्रमुख/प्रवाचक आदि १. अंगसुत्ताणि, भाग-२ वा. प्र. आचार्य तुलसी सन् १९९२ | जैन विश्व भारती १५/३,१६० सं. आचार्य महाप्रज्ञ
लाडनूं (राजस्थान) २. अंगुत्तर निकाय सं. भिक्खु जगदीश कस्सपो सन् १९६० | पालि प्रकाशन मंडल, १५/आमुख, १४२
बिहार ३. अणुओगदाराई (मूलपाठ, वा. प्र. गणाधिपति तुलसी सन् १९९७ |जैन विश्व भारती १२/४९-५२; संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद सं. आचार्य महाप्रज्ञ
लाडनूं (राजस्थान) १४/८०-८१ तथा तुलनात्मक टिप्पण) ४. अनुकंपा की चौपाई भिक्षु | रचयिता-आचार्य भिक्षु सन् १९६० श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंर्थी १५/६५-६६ ग्रंथ रत्नाकर, प्रथम खंड |सं. आचार्य तुलसी
महासभा, कोलकाता ५. अनुयोगद्वार चूर्णि कर्ता-जिनदास महत्तर सन् १९२८ श्री ऋषभदेव केशरीमल | १६/६-७
श्वेताम्बर संस्था, रतलाम ६. अभिधान चिन्तामणिः कर्ता-आचार्य हेमचन्द्र वि.सं. २०२० चौखंबा विद्या भवन १२/१२५-१२६, (नाममाला)
| वाराणसी
१५/२६ ७. अभिधान चिंतामणि स्वोपज्ञ कर्ता-श्री हेमचन्द्राचार्य वी.नि. २४४१ नथमल लक्ष्मीचंद वकील १२/१२५-१२६ टीका
सं. शास्त्रविशारद जैनाचार्य
श्री विजयधर्मसूरि ८. अमितगति श्रावकाचार | | रचयिता आचार्य अमितगति सन् १९७९ | मुनिश्री अनन्तकीर्ति | १५/२६
दिगम्बर जैन ग्रंथमाला,
कालबा देवी रोड, मुंबई ९. अर्हत् वचन
लेखक आचार्य महाप्रज्ञ सन् २००१ |कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर १५/१५२-१५५ (लेख-मांसाहार : एक
विवेचन) १०. अष्टांग संग्रह | टीकाकार-वैद्य पं. लालचंद्र सन् १९६५ वैद्यनाथ आयुर्वेद भवन | १२/१५४-१५८;
प्राइवेट लि.
१५/१५२-१५५ ११. आगम युग का जैन दर्शन |ले. पं दलसुख मालवणिया |द्वि. संस्करण | प्राकृत भारती अकादमी, | १२/आमुख
सन् १९९० जयपुर श्री जै.श्वे. नाकोड़ा
पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवा नगर १२. आचारांग चूर्णि श्री जिनदास गणि सन् १९४१ | श्री ऋषभदेवजी केशरीमल १५/५३-५६
जी श्वे. रतलाम (मालवा)
शास्त्री
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