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________________ भगवई ४१५ परिशिष्ट-३ : भाष्य-विषयानुक्रम शक्र की भाषा : सावद्य या अनवद्य १६/३५-४० निरूपण १३/७४-७८ शक्र संबंधी व्याकरण १६/३५-४० शय्यातरी जयन्ती श्रमणोपासिका १२/३० सत्य को देखने की दो दृष्टियों १४/४९-५० शरीर :अष्टस्पर्शी और चतस्पर्शी १२/११४-११६ समुद्घात १३/१६८ शरीर के संदर्भ में अधिकरणी और अधिकरण की मीमांसा १६/ सम्यक् मिथ्यादृष्टि १३/१४-१६ २०-२६ साध्य-साधन संगति १५/६५-६६ शीलव्रत १२/२७ सिंह अनगार द्वारा रेवती के से भैषज्य ग्रहण १५/१५२-१५५ श्रमणों की साधनजन्य तेजोलेश्या १४/१३६ सिन्धु सौवीर १३/१०२ श्रमणोपासिका जयन्ति के प्रश्न १२/४१-४८ सुख-दुःख के हेतु १४/४८ शशि और आदित्य १२/१२५-१२६ सुगंधित द्रव्यों के पुट १६/१०६ श्रावक के धार्मिक स्वरूप १२/१ सूर्य १४/१३२-१३५ श्रावक को वंदन-नमस्कार १२/९ सोना अच्छा या जागना? १२/५३-५४ सोलह जनपद १५-१२१ षड्द्रव्य में वर्णादि १२/११८ स्कंध की उत्पत्ति : संघात और भंद १२/६९-८० षड्द्रव्यों के प्रदेश के नियम १३/७२-७३ स्याद्वाद का सिद्धांत १२/२११-२२५ षडद्रव्यों के प्रदेशों का अवगाह, अवस्थिति अथवा व्याप्ति का | स्वप्न दर्शन १६/७६-१०५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003596
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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