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भगवई
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परिशिष्ट-३ : भाष्य-विषयानुक्रम शक्र की भाषा : सावद्य या अनवद्य १६/३५-४०
निरूपण १३/७४-७८ शक्र संबंधी व्याकरण १६/३५-४० शय्यातरी जयन्ती श्रमणोपासिका १२/३०
सत्य को देखने की दो दृष्टियों १४/४९-५० शरीर :अष्टस्पर्शी और चतस्पर्शी १२/११४-११६
समुद्घात १३/१६८ शरीर के संदर्भ में अधिकरणी और अधिकरण की मीमांसा १६/ सम्यक् मिथ्यादृष्टि १३/१४-१६ २०-२६
साध्य-साधन संगति १५/६५-६६ शीलव्रत १२/२७
सिंह अनगार द्वारा रेवती के से भैषज्य ग्रहण १५/१५२-१५५ श्रमणों की साधनजन्य तेजोलेश्या १४/१३६
सिन्धु सौवीर १३/१०२ श्रमणोपासिका जयन्ति के प्रश्न १२/४१-४८
सुख-दुःख के हेतु १४/४८ शशि और आदित्य १२/१२५-१२६
सुगंधित द्रव्यों के पुट १६/१०६ श्रावक के धार्मिक स्वरूप १२/१
सूर्य १४/१३२-१३५ श्रावक को वंदन-नमस्कार १२/९
सोना अच्छा या जागना? १२/५३-५४
सोलह जनपद १५-१२१ षड्द्रव्य में वर्णादि १२/११८
स्कंध की उत्पत्ति : संघात और भंद १२/६९-८० षड्द्रव्यों के प्रदेश के नियम १३/७२-७३
स्याद्वाद का सिद्धांत १२/२११-२२५ षडद्रव्यों के प्रदेशों का अवगाह, अवस्थिति अथवा व्याप्ति का | स्वप्न दर्शन १६/७६-१०५
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