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परिशिष्ट-२: शब्दार्थ एवं शब्द
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भगवई
बद्ध १२/९७ बीजबीजक १३/१४९-१६६ बुद्ध जागरिका १२/२०-२१
नव निधि १२/१६३-१६८ निकृति १२/१०२-१०७ निभिज्जमाण १६/१०६ निर्जीण १२/९७ निर्यानिक लयन १३/९८ निर्विष्ट १२/९७ निसीयंति १३/९८ निःसृत १२/९७ निःसृष्ट १२/९७ नेमि व्रतिरूपक १४/७४-७५ नोइंद्रिय उपयुक्त १३/५
भण्डन १२/१०२-१०७ भत्था १६/६-७ भवसिद्धिक १२/४९-५२ भव्यद्रव्य देव १२/१६३-१६८ भाइल्लगत्ताए १२/१३३-१५२ भावदेव १२/१६३-१६८ भिध्या १२/१०२-१०७ भिस १३/१४९-१६६ भेद १२/६९.८० भोगाशा १२/१०२-१०७
पउट्ट परिहार १५/७२-७३ पक्खिविराली १३/१४९-१६६ पणियभूमि १५/५३-५६ परंपर उपपन्नक १४/४-५ परंपर खेदोपपन्नक १४/१४ परंपर आहारक १३/५ परंपर निर्गत १४/९-१३ परंपरावगाढ १३/५ परंपरोपपन्नक १३/५ परपरिवाद १२/१०२-१०७ परम १४/१ परिपार्श्व १४/१ पप्फोडेमाणे १५/१२० परिचारणा १२/१२४ परिभायमाणा १२/४-५ परिभुञ्जमाणा १२/४.५ परिणमित १२/९७ परिवेढियं १६/७६-१०५ पर्याप्त १२/९७ पाक्षिक पौषध १२/४-५ पारिणामिकी १२/१०८-१११ पुयलि १५/१२० प्रज्ञापराध १४/१६-२० प्रतिकुंचन १२/१०२-१०७ प्रतिहार १२/१५४-१५८ प्रदेश संख्या परिवर्तन १२/२२-२५ प्रस्थापित १२/९७ प्रार्थना १२/१०२-१०७
मज्जारकड १५/१५२-१५५ मद १२/१०२-१०७ मनोमानसिक १३/११०-१२१ मयगत्ताए १२/१३३-१५२ मरण १३/१३०-१४५ मरणाशा १२/१०२-१०७ महत्तर १३/४३ महापइरिक्कतरा १३/४३ महापवेसणतरा १३/४३ महावित्थिण्णतर १३/४३ महोगासतरा १३/४३ मान १२/१०२-१०७ माया १२/१०२-१०७ मुंड १६/५१-५२ मुट्ठिए १६/६-७ मूर्छा १२/१०२-१०७
योग आत्मा १२/२००
रहसिरेणे १५/१७९ राग १२/१०२-१०७ रोष १२/१०२-१०७
लव सप्तम देव १४/८४-८८ लालपनता १२/१०२-१०७ लोभ १२/१०२-१०७
बंध परिवर्तन १२/२२-२५
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