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भगवई
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परिशिष्ट-२ : शब्दार्थ एवं शब्द-विमर्शानुक्रम
उल्लंबिया १३/१४९-१६६ उव्विहिय उव्विहिय १३/१४९-१६६
औत्पत्तिकी १२/१०८-१११ औदारिक पुद्गल-परिवर्त्त १२/८१-९६ औधनिक लयन १३/९८ औपकरिक लयन १३/९८
चंब कडं १३/१४९-१६६ चक्र रत्न १२/१६३-१६८ चम्मेढे १६/६-७ चरम १३/५; १४/१ चाण्डिक्य १२/१०२-१०७ चारित्र आत्मा १२/२००
छंद १२/१३
जडिल १६/५१-५२ जल-प्रपात लयन १३/९८ जागरिका १२/२०-२१ जागृत १६/७६-१०५ जिम्ह १२/१०२-१०७ जीवंजीवक १३/१४९-१६६ जीविताशा १२/१०२.१०७ ज्ञान आत्मा १२/२००
कंबल कडं १३/१४९-१६० कपोत शरीर १५/१५२-१५५ करण १४/४४-४७ कर्मलेश्या १४/१,१२३-१२५ कलह १२/१०२-१०७ कल्क १२/१०२-१०७ कषाय आत्मा १२/२०० कांक्षा १२/१०२-१०७ कामाशा १२/१०२-१०७ काय १३/१२७-१२८ किल्विष १२/१०२-१०७ कुक्कुडमांस १५/१५२-१५५ कुक्षि का भेदन १२/१२४ कुरुक १२/१०२-१०७ कृत १२/९७ केतकी १६/१०६ कोट्ठ १६/१०६ कोप १२/१०२-१०७ कौसंब १६/५१-५२ क्रीडारति १४/२५-२७ क्रोध १२/१०२-१०७
डेवेमाणे १३/१४९-१६६
णूम १२/१०२-१०७
तिर्यक् पर्वत १४/६८-६९ तिर्यक् भित्ति १४/६८-६९ तृष्णा १२/१०२-१०७
खञ्जन १२/१२४
दर्प १२/१०२-१०७ दर्शन आत्मा १२/२०० दामिणि १६/७६-१०५ दिशाचर १५/७७ दुर्नाम १२/१०२-१०७ देवातिदेव १२/१६३-१६८ दोष १२/१०२-१०७ द्रव्य आत्मा १२/२००
गंडिया १६/५१-५२ गति १३/५५-६० गर्व १२/१०२-१०७ गृहन १२/१०२-१०७ गृद्धि १२/१०२-१०७ गृहीत १२/९७ ग्रहण १२/१०२-१०७; १३/५५-६०
धर्मदेव १२/१६३-१६८ धार्मिक १२/५३-५४
नंदि १२/१०२-१०७ नरगत्ताए १२/१३३-१५२ नरदेव १२/१६३-१६८
घायगत्ताए १२/१३३-१५२
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